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"ना" के जश्न के बाद अब क्या करेगा यूनान!

Source : business.khaskhabar.com | July 06, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 whats now in greece after no in referendum  नई दिल्ली। ग्रीस को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए आईएमएफ और यूरोपियन यूनियन के नए मसौदे को ग्रीस की जनता ने रविवार को पूरी ताकत के साथ ठुकरा दिया और इसके बाद देशभर में पूरी रात जश्न मनाया जाता रहा। देश के 61 फीसदी मतदाताओं ने वोट के लिए आए कडी शतो से भरे प्रस्ताव को खारिज कर दिया और मात्र 39 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में वोट दिया। रेफेरेंडम के इस नतीजे को जहां प्रधानमंत्री एलेक्सिस शिप्रास के लिए ब़डी जीत मानी जा रही है वहीं विपक्ष इस कदर दबाव में आ गया कि नेता विपक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एंतोनी समारास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इस जश्न से आगे ग्रीस का रास्ता खासा मुश्किल नजर आ रहा है।

यूरोपीय नेताओं ने जनमत संग्रह से पहले बार-बार ग्रीस के लोगों को चेतावनी दी थी कि अगर उनका फैसला "ना" रहा, तो ग्रीस को यूरोजोन से बाहर जाना पड सकता है, लेकिन इस चेतावनी की ज्यादा परवाह न तो ग्रीस की जनता ने की और न ही वहां की सरकार ने। यूरोजोन से बाहर जाने का मतलब है कि यूरोपीय संघ से मिलने वाली बडी मदद का रास्ता बंद होना, जिसके बिना ग्रीस के लिए फिलहाल काम चलाना मुश्किल होगा। इसलिए ग्रीस को यूरोजोन के लिए जल्द से जल्द सहायता के लिए समझौता करना होगा। जनमत संग्रह के बाद ग्रीस की सरकार बेलआउट पैकेज की शर्ते नरम कराने के लिहाज से बेहतर स्थिति में हो सकती है। हालांकि, यूरोपीय संघ और खास तौर से जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के सख्त रूख को देखते हुए बातचीत फिर से शुरू करना आसान नहीं होगा।

बेलआउट पैकेज में आर्थिक अनुशासन के लिए कई कडी शर्ते जुडी हैं, जिनमें कर बढाने और सामाजिक योजनाओं पर खर्चो में कटौती की मांग की गई है। ग्रीस के प्रधानमंत्री इन शर्तो को "अपमानजनक" मानते हैं, इसलिए उन्होंने जनता से बेलआउट पैकेज को खारिज करने की अपील की थी। जनमत संग्रह पर फैसला भले ही सरकार की योजना के मुताबिक रहा हो, लेकिन ग्रीस में अब भी एक बडा तबका है जो इस पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं है।

अब क्या होगा अगला कदम- दो दिन हैं अहम

सोमवार- रेफेरेंडम के नतीजों के बाद सोमवार को जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद पेरिस में मुलाकात कर सकते हैं। गौरतलब है कि दोनों ही देशों ने ग्रीस को बडा कर्ज दिया है और रेफेरेंडम के नतीजों के बाद वह अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। गौरतलब है कि दोनों ही देश नहीं चाहते कि ग्रीस को यूरोपियन यूनियन से बाहर किया जाए। मंगलवार- मंगलवार को यूरोजोन देशों के प्रमुखों और वित्त मंत्रियों के समूह की इमरजेंसी बैठक होगी। रेफेरेंडम के बाद ग्रीस की कोशिश होगी कि वह इस बैठक में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखते हुए एक बार फिर बातचीत की शुरूआत करे। इसके साथ ही ग्रीस की यह कोशिश रहेगी कि वह अगले 48 घंटों में यूरोजोन के अन्य देशों और आईएमएफ से व्यवहारिक समझौता करने में कामयाब हो जाए। मगर ग्रीस के लिए आगे का रास्ता इतना आसान नहीं है क्योंकि यूरोप के कई दिग्गज देश अब ग्रीस के साथ अपना सब्र खो चुके हैं। यूरो क्षेत्र के वित्त मंत्रियों के समूह के प्रमुख जेरोन दिजसेलब्लोएम ने जनमत संग्रह के परिणाम को ग्रीस के भविष्य के लिए बहुत अफसोसजनक बताया है। नीदरलैंड के वित्तमंत्री दिजसेलब्लोएम ग्रीस के धुर विरोधी रहे हैं।

उन्होंने कहा, ग्रीस की अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए कडे कदम व सुधार बेहद जरूरी हैं।. अब हम ग्रीक अधिकारियों की पहल का इंतजार करेंगे। जर्मनी के वित्त मंत्री सिगमर गेब्रिएल ने कहा है कि ग्रीस की सरकार अपने लोगों पर एक कमजोर अर्थव्यवस्था थोप कर उन्हें नाउम्मीदी की राह पर ले जा रही है। बेल्जियम के वित्तमंत्री जाहन वान ओवरवेड्त ने नरम प्रतिçRया देते हुए जनमत संग्रह के परिणामों को जटिल मुद्दा करार दिया और कहा, बातचीत बहाल करने के लिए दरवाजे खुले हैं।

क्या ग्रीस यूरोजोन से बाहर आएगा!

यूरोजोन की स्थापना के बाद से कोई भी देश यूरो करेंसी से बाहर नहीं निकला है। हालांकि अब माना जा रहा है कि इसकी संभावना बढ गई है, खासतौर पर अगर प्रमुख कर्जदाता जैसे यूरोपियन सेंट्रल बैंक दोबारा बातचीत शुरू करने से मना कर दे। ग्रीस के लिए नए बेलआउट पर सहमति नहीं होने की स्थिति में अगले कुछ दिनों में ग्रीस के बैंकों में पैसा खत्म हो जाएगा। इस स्थिति में उसे आईओयू विकल्प का सहारा लेते हुए सैलेरी और पेंशन का भुगतान करना पड सकता है, या फिर यूरोजोन की करेंसी से बाहर निकल कर अपनी करेंसी ड्राचमा का इस्तेमाल करना पड सकता है। हालांकि रेफेरेंडम में ग्रीस के 70 फीसदी लोगों ने यूरो को छोडने के खिलाफ अपना मत दिया है।

ग्रीस में नकदी की कमी

ग्रीस के बैंकों में नगदी की कमी हो रही है और यूरोपीय केंद्रीय बैंक से उन्हें आपात रकम मिलना बेहद जरूरी है। आर्थिक किल्लत का यह आलम है कि कई बैंकों ने एटीएम मशीनों से एक दिन में निकाले जाने वाली अधिकतम राशि को सिर्फ 60 यूरो तक सीमित कर दिया है। बैंक संकट और अस्थिरता के कारण टैक्स जुटाने में आई कमी के चलते ग्रीस की अर्थव्यवस्था फिर से कमजोर हो गई है। इन हालात में यूरोजोन और ग्रीस के बीच समझौत और मुश्किल लगता है। दूसरी तरफ यूरोजोन की ओर से ग्रीस पर तीखे बयानों का सिलसिला जारी है, लेकिन ग्रीस की सरकार के पास भी इसका जवाब है। वेकहेंगे, हमने तो आपकी मांग को लोकतांत्रिक कसौटी पर परखा, लेकिन लोगों ने उसे खारिज कर दिया। बहरहाल, आने वाले दिन ग्रीस और यूरोजोन के संबंधों के लिए अहम होने वाले हैं।