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कर्नाटक में उत्पादन घटने से राई की कीमतों में भारी उछाल, खाद्य निर्माताओं की बढ़ी चिंता

Source : business.khaskhabar.com | Jun 24, 2025 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 rye prices rise sharply due to reduced production in karnataka food manufacturers worried 731518
- बिजनेस डेस्क - 
जयपुर। भारत के खाद्य बाजार में इन दिनों एक महत्वपूर्ण सामग्री, राई (सरसों) की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे अचार, खमन और ढोकला जैसे खाद्य पदार्थ बनाने वाले निर्माताओं की चिंता बढ़ गई है। उत्पादन में भारी गिरावट और लगातार बढ़ती मांग के कारण कीमतों में तेज उछाल देखा जा रहा है। जयपुर मंडी में कर्नाटक से आने वाली राई के भाव वर्तमान में ₹190 से ₹200 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं। 
उत्पादन में 35% की गिरावट: राजधानी मंडी, कूकरखेड़ा स्थित वैदेही एंटरप्राइजेज के विशाल अग्रवाल ने बताया कि राई का मुख्य उत्पादन कर्नाटक के गुलबर्गा काली कोठी लाइन क्षेत्र में होता है। हालांकि, इस साल कर्नाटक में राई का उत्पादन लगभग 35% कम होने का अनुमान है, जो कीमतों में इस तेज वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। 
मध्य प्रदेश की सीमावर्ती मंडियों से भी हल्की गुणवत्ता वाली राई आती है, जहां बारीक सरसों को भी राई में मिला दिया जाता है, लेकिन असली कर्नाटक की राई में एक विशिष्ट खट्टापन होता है जो सरसों में नहीं होता, सरसों में झांस अधिक होती है। 
बढ़ती मांग और स्टॉक की कमी: पिछले डेढ़ महीने में राई के भावों में लगभग ₹55 प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। जहां डेढ़ महीने पहले यह ₹140 प्रति किलो के आसपास थी, वहीं अब यह ₹195 प्रति किलो पर पहुंच गई है। व्यापारियों का कहना है कि उत्पादन केंद्रों से राई मंगाने पर अब ₹200 प्रति किलो का पड़ रहा है। मंडियों में राई का पुराना स्टॉक लगभग न के बराबर है, जबकि अचार और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों से राई की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। 
आगे की राह और बाजार पर असर: व्यापारियों का अनुमान है कि थोक में राई के भाव जल्द ही ₹210 प्रति किलो को पार कर सकते हैं, यदि यही स्थिति बनी रहती है। गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाली सरसों राई के भाव यहां ₹80 से ₹90 प्रति किलो तक चल रहे हैं, लेकिन कर्नाटक की उच्च गुणवत्ता वाली राई की अपनी अलग मांग है। सरसों सीड में भी आ रही तेजी के कारण फिलहाल राई की कीमतों में मंदी के आसार नहीं दिख रहे हैं। 
राई की कीमतों में यह उछाल सीधे तौर पर उन छोटे और बड़े खाद्य निर्माताओं पर असर डालेगा जो इसका बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं। इससे उनके उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिसका अंतिम बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। यह स्थिति सरकार और कृषि क्षेत्र के लिए उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में सोचने का एक संकेत भी है।

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