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सरकार ने लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को बढ़ाकर 376 किया, संपत्ति बिक्री पर होगा अधिक लाभ 

Source : business.khaskhabar.com | July 03, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 government increases cost inflation index to 376 more profit on property sale 733656नई दिल्ली । केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मुद्रास्फीति-समायोजित परिसंपत्ति कीमतों की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) में वृद्धि की है, जिससे करदाताओं को लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर अधिक राहत का दावा करने की अनुमति मिल गई है। 
ताजा अधिसूचना के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सीआईआई को संशोधित कर 376 कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष 363 था।
लागत मुद्रास्फीति सूचकांक किसी परिसंपत्ति के क्रय मूल्य को मुद्रास्फीति के अनुरूप समायोजित करने में मदद करता है।
यह समायोजन कर योग्य पूंजीगत लाभ को कम करता है, जिसकी गणना बिक्री मूल्य और मुद्रास्फीति-समायोजित खरीद मूल्य के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।
उच्च सूचकांक का अर्थ है उच्च समायोजित लागत, जो बदले में विक्रेताओं पर कर का बोझ कम करती है।
यह संशोधित सूचकांक वित्त वर्ष 26 और असेसेमेंट ईयर 2026-27 के लिए लागू होगा, जब वित्त वर्ष 26 में अर्जित आय के लिए आईटी रिटर्न दाखिल किया जाएगा।
इस पद्धति का उपयोग करने के पीछे उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पूंजीगत लाभ कर केवल वास्तविक लाभ पर लगाया जाए, न कि मुद्रास्फीति के कारण होने वाले लाभ पर।
हालांकि, इंडेक्सेशन के संबंध में समग्र नियमों में बदलाव हुए हैं। सरकार के कर सरलीकरण प्रयासों के हिस्से के रूप में, 2024 के वित्त अधिनियम ने पूंजीगत लाभ कर के लिए नए नियम पेश किए थे।
अपडेट किए गए नियमों के तहत, इंडेक्सेशन लाभ मुख्य रूप से 23 जुलाई, 2024 से पहले बेची गई संपत्तियों के लिए उपलब्ध होंगे।
इस तिथि के बाद की गई बिक्री के लिए, कोई निवासी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (एयूएफ) अभी भी इंडेक्सेशन लाभ का दावा कर सकते हैं, लेकिन यह केवल तभी लागू होगा, जब संपत्ति 23 जुलाई, 2024 से पहले अर्जित की गई हो।
ऐसे मामलों में करदाताओं को दो विकल्प दिए गए हैं। पहला, वे इंडेक्सेशन के बिना नई फ्लैट 12.5 प्रतिशत दर पर कर का भुगतान कर सकते हैं। दूसरा- इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना चुन सकते हैं।
हालांकि, यह विकल्प अनिवासी भारतीयों (एनआरआई), कंपनियों के लिए उपलब्ध नहीं है। उन्हें अब नई फ्लैट-रेट प्रणाली का पालन करना होगा।
--आईएएनएस
 

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