ताइवान चाहता हे भारत के साथ व्यापार बढाना
Source : business.khaskhabar.com | Oct 26, 2014 | 

ताइपे। ताइवान का भारत के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है लेकिन वह भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2015 तक छह फीसदी बढाना चाहता है। उसने भारत से शुल्क कटौती की मांग की है। ताइवान के विदेश व्यापार ब्यूरो के महानिदेशक जेन-नी यांग ने यहां आईएएनएस से कहा,हम अगले साल तक भारत के साथ अपने व्यापार को 5-6 फीसदी बढाने की उम्मीद करते हैं। हम भारत के साथ व्यापारिक संबंध बढाना चाहते हैं। अभी तक ताइवान का दर्जा भारत में प्रतिनिधि स्तर का ही है, क्योंकि एक चीन नीति के तहत एक चीन के रूप में भारत चीन को मान्यता देता है। यांग ने कहा,दक्षिण एशिया और खास तौर से भारत हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत के नए प्रधानमंत्री का रवैया कारोबार के प्रति अनुकूल लगता है।
वह भारत को विनिर्माण का गढ बनाना चाहते हैं। ताइवान यूं तो आधिकारिक तौर पर चीन का हिस्सा है, लेकिन यहां चीन से अलग लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यह पूरी तरह निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था है। हाल के वषोंü में ताइवान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निर्यात का 70 फीसदी योगदान है। यांग ने कहा,हम छूट चाहते हैं। हम अपने निर्यात के लिए अन्यों के मुकाबले अधिक कर चुकाते हैं। दूसरी ओर भारत का चीन और कोरिया से समझौता है, जिसके तहत उसे छूट हासिल है। ताइवान के सबसे बडे निजी क्षेत्र के थिंक टैंक ताइवान इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनॉमिक रिसर्च (टीआईईआर) के अध्यक्ष डेविड एस हांग ने कहा,भारत एक विशाल बाजार है। यह एक युवा देश है। वहां एक विशाल मध्य वर्ग है। दोनों देशों के बीच सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग संभव है। भारत और ताइवान का द्विपक्षीय व्यापार 2001 में 1.19 अरब डॉलर था।
यह 2013 में 6.1 अरब डॉलर हो गया। भारत से ताइवान को होने वाला निर्यात 2001 में 0.55 अरब डॉलर था, जो 2013 में 2.75 अरब डॉलर हो गया। इसी दौरान ताइवान से भारत को होने वाला निर्यात 0.64 अरब डॉलर से बढकर 3.4 अरब डॉलर हो गया। साल 2014 के प्रथम सात महीने में द्विपक्षीय व्यापार 3.4 अरब डॉलर का हुआ है। भारत में ताइवान से होने वाला निवेश 2001 में 1.9 लाख डॉलर था, जो 2012 में 96 लाख डॉलर हो गया।