हरियाणा में जल्द बनेगी नई औद्योगिक नीति
Source : business.khaskhabar.com | Feb 14, 2015 | 

चंडीगढ। हरियाणा सरकार की नई औद्योगिक नीति के लिए सरकार की ओर से जिला एवं क्षेत्रवार औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के सुझावों को प्राप्त करके ही इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं संरचना विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) के प्रबन्ध निदेशक विनीत गर्ग ने शनिवार को फरीदाबाद के एफआईए सभागार में आयोजित जिला के सभी औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। गर्ग ने कहा कि फरीदाबाद में इंडस्ट्रीयल मॉडल टाऊन (आईएमटी) क्षेत्र विकसित करने का कार्य अंतिम चरण में है। इस क्षेत्र में उनके निगम की ओर से प्लाटों के आबंटन सहित अन्य सभी प्रकार के संबंधित विकास को बेहतर ढंग से पूरा करने का श्रेष्ठतम प्रयास किया जा रहा है।
बैठक में एफआईए के प्रधान नवदीप चावला, पूर्व प्रधान एवं उद्योगपति केसी लखानी, पूर्व प्रधान डा एसके गोयल व एफएसआईए के प्रधान राजीव चावला सहित कई अन्य प्रतिनिधियों ने भी फरीदाबाद के भावी औद्योगिक विकास के संबंध में अपने-अपने सुझाव रखे। सुझावों में औद्योगिक नीति को सरल व उद्योग फै्रण्डली बनाना,सरकार द्वारा इस संबंध में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करना तथा निगम के साथ अन्य सभी संबंधित विभागों को भी औद्योगिक विकास के हित में एकजुट करके कार्य करना आदि शामिल था । नवदीप चावला ने कहा कि फरीदाबाद के औद्योगिक विकास में बडे औद्योगिक समूह एस्कॉट्üस व जेसीबी की अहम भूमिका रही है और इनके अलावा यहां पर महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा व एल एण्ड टी जैसे मदर यूनिट लगाने की सम्भावना खोजी जाए।
लखानी ने सुझाव दिया कि उद्योगों के विकास व उत्थान से संबंधित उद्योग विभाग, श्रम विभाग, नगर निगम, हुडा व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य सभी संबंधित विभागों के सभी अधिकारी यदि बेहतर सामंजस्य रख कर कार्य करें तो अनूठी औद्योगिक प्रगति होने के फलस्वरूप जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी अधिक उपलब्ध करवाया जा सकता है। डा एसके गोयल का सुझाव था कि शहर में चिन्हित 250 एकड खाली जमीन पर योजना तैयार करके जिले में अनियमित व असंगठित औद्योगिक क्षेत्रों में चल रही इकाइयों को इसमें स्थानांतरित किया जा सकता है। राजीव चावला ने जिला के कई पुराने अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों को नियमित करने पर बल देते हुए सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि उद्योग क्षेत्र में बिजली की दरों में कमी करने के साथ-साथ न्यूनतम वेतन को भी घटती हुई मंहगाई के मद्देनजर ही तय करे।