स्पेक्ट्रम बेस प्राइस पर ट्राई और टेलिकॉम कमिशन में तनातनी
Source : business.khaskhabar.com | Jan 08, 2015 | 

नई दिल्ली। टेलिकॉम कमिशन ने आगामी ऑक्शन के लिए 3जी स्पेक्ट्रम के बेस प्राइस पर टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का सुझाव उसे ही वापस भेजने का फैसला किया है। यह टेलिकॉम मिनिस्ट्री और रेग्युलेटर के बीच खींचतान का एक और मामला है। टेलिकॉम डिपार्टमेंट (डीओटी) के एक इंटरनल पैनल का मानना है कि 3जी स्पेक्ट्रम का रिजर्व प्राइस ट्राई की ओर से सुझाए गए 2,720 करोड रूपये प्रति यूनिट से कहीं ज्यादा होना चाहिए । इसके आधार पर टेलिकॉम कमिशन ने दोबारा विचार के लिए इसे ट्राई के पास भेजने का फैसला किया। ट्राई को अब 15 दिनों में डीओटी को जवाब देना होगा। इससे पहले भी ट्राई और टेलिकॉम कमीशन के बीच तनातनी के मामले देखे जा चुके हैं। डीओटी के बहुत से अधिकारियों से ईटी ने बात की और इनकी शिकायत थी कि ट्राई लगातार डिपार्टमेंट की सार्वजनिक तौर पर निंदा करता रहता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था, "ट्राई शिकायत करना और पत्र लिखना जारी रख सकता है, लेकिन हमने दिखा दिया है कि बॉस कौन है।" वह 2जी स्पेक्ट्रम की ऑक्शन और प्राइसिंग पर सरकार के हाल के उस फैसले का जिR कर रहे थे जिसमें ट्राई के सुझावों को खारिज कर डीओटी का पक्ष लिया गया था। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "रेग्युलेटर को अपनी सिफारिशें देकर सरकार पर यह फैसला छोड देना चाहिए कि सेक्टर के हितों में क्या होगा।" पिछले एक वर्ष में टेलिकॉम कमिशन ने प्राइसिंग से जु़डी सभी महत्वपूर्ण सिफारिशों को दोबारा विचार के लिए ट्राई के पास भेजा है।
पिछले महीने डीओटी ने आगामी नीलामी में रेग्युलेटर की ओर से सुझाए गए रिजर्व प्राइस से कहीं ज्यादा कीमत तय की थी। टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने 800 एमएचजेड बैंड में रेग्युलेटर के सुझाव वाले प्राइस से 17 फीसदी, 900 एमएचजेड के लिए 23 फीसदी और 1,800 एमएचजेड के लिए 2.5 फीसदी ज्यादा प्राइस तय किया था। ट्राई भी समय-समय पर टेलिकॉम डिपार्टमेंट की निंदा करने में कोई कसर नहीं छो़डता। ट्राई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "डिपार्टमेंट के अधिकारी इस तरह काम करते हैं जैसे वे सबसे ऊपर हों। उन्हें सेक्टर के लिए फैसले लेते समय दूरदृष्टि रखने की जरूरत है।"