सौर ऊर्जा क्षेत्र में उतरी आरईजेन
Source : business.khaskhabar.com | July 19, 2015 | 

कोयंबटूर। पवन टरबाइन निर्माता कंपनी आरईजेन पॉवरटेक ने सौर ऊर्जा निर्माण क्षेत्र में कदम रखा है और उसने एक हाइब्रिड सोल्यूशन तथा एक इंजीनियरिंग-प्रॉक्योरमेंट-कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) की पेशकश की है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। कुल 2,400 करोड रूपए कारोबार वाली कंपनी इस साल लगभग 205 करोड रूपए निवेश करेगी और वह 2.8 मेगावाट वाले पवन टरबाइन को विदेशी बाजारों में उतारने के प्रति आशान्वित है।
भारत के सबसे बडे 2.8 मेगावाट वाले पवन चक्की के प्रोटोटाइप की जांच की जा रही है, जिसका परिणाम अक्टूबर 2015 में आने की संभावना है। कंपनी के प्रबंध निदेशक मधुसूदन खेमका ने कहा, "हमने यहां 200 किलोवाट के एक सौर ऊर्जा परियोजना को अपने 1.5 मेगावाट पवन टरबाइन से जोडा है। यह एक पवन-सौर हाइब्रिड परियोजना का उदाहरण है, जिसमें दोनों एक ही बुनियादी सुविधाओं को साझा कर रहे हैं, जबकि विद्युत उत्पादन अलग-अलग कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पवन व सौर एक-दूसरे के पूरक हैं। पवन ऊर्जा का उत्पादन रात में शीर्ष पर होता है, जबकि सौर ऊर्जा का उत्पादन दिन में शीर्ष पर होता है। खेमका ने कहा कि आरईजेन के 1.5 मेगावाट पवन चक्की से जु़डी सौर ऊर्जा क्षमता बढ़कर 750 किलोवाट तक जा सकती है।
उन्होंने कहा, "हम मौजूदा 1.5 मेगावाट टरबाइन से सौर ऊर्जा परियोजना को जो़ड सकते हैं। हम अपने मौजूदा ग्राहकों के साथ ही नए ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।" खेमका ने कहा, "एक हाइब्रिड विद्युत परियोजना का प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) लगभग 37 फीसदी होता है, जबकि एक पवन टरबाइन का अकेले 28 फीसदी। हाइब्रिड परियोजना में विद्युत निर्माण क्षमता अधिक होती है।" कंपनी ने राजस्थान में 10-10 मेगावाट के दो सौर ऊर्जा पार्क स्थापित करने के लिए एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। खेमका ने विस्तार पर बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान के उदयपुर संयंत्र में ब्लेड बनाने के लिए कंपनी लगभग 160 करो़ड रूपये का निवेश कर रही है।
उन्होंने कहा, "दो मेगावाट के पवन टरबाइन के विकास के लिए कंपनी 45 करो़ड रूपये निवेश कर रही है।" आरईजेन को आशा है कि उसके 2.8 मेगावाट इकाई को वाणिज्यिक उत्पादन के लिए इस साल अक्टूबर में मान्यता मिल जाएगी और अपै्रल 2016 से इसे विदेश में उतारने का काम शुरू हो जाएगा। (आईएएनएस)