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आरबीआई के सख्त रूख को आईएमएफ का समर्थन

Source : business.khaskhabar.com | Mar 16, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 RBI tough stance IMF supportनई दिल्ली| अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सख्त मौद्रिक नीति का समर्थन करते हुए कहा है कि देश में पांच प्रतिशत की महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर है। आईएमएफ की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीन लागार्दे सोमवार से दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं।

आईएमएफ के सहायक निदेशक पॉल कशिन ने कहा, "हाल की अवधि में भारत की मौद्रिक नीति सख्त रही है। हमने हाल के वर्षो में महंगाई दर में बड़ी गिरावट देखी है। महंगाई दर 2013 के लगभग 11 प्रतिशत से घट कर लगभग पांच प्रतिशत पर आ गई है।"

आईएमएफ के एशिया एवं प्रशांत विभाग में सहायक निदेशक कशिन ने कहा, "इसके बावजूद, देश की पांच प्रतिशत महंगाई दर बहुत ज्यादा है लेकिन उम्मीदें भी बहुत ज्यादा हैं। इसलिए हमने सुझाव दिया है कि आरबीआई को इस दिशा में सख्त रुख बनाए रखना चाहिए।"

आईएमएफ का दृष्टिकोण यह है कि देश की वास्तविक ब्याज दरें सकारात्मक रखी जाएंगी और सरकार खाद्य महंगाई दर घटाने, खाद्यान्न भंडार को जनता के लिए जारी करने और कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्यों को घटाने की दिशा में कदम उठाएगी।

"तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर कम करने में भारत जैसे देश को काफी मदद मिली है। हम निश्चिंत हैं कि यदि यह रुख कायम रहा तो आगे चलकर देश की महंगाई दर यकीनन और कम होगी।"

आईएमएफ के मुताबिक, क्रिस्टीन लागार्दे अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन से मुलाकात करने वाली हैं।

इसके अलावा वह नई दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में एक व्याख्यान भी देंगी। इसके साथ ही मंगलवार को आरबीआई द्वारा मुंबई में आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में भी वह हिस्सा लेंगी। इसके बाद लागार्दे चीन के अपने पांच दिवसीय दौरे पर रवाना हो जाएंगी।

कशिन के मुताबिक, पिछले कुछ सालों की तुलना में आज भारत का परिदृश्य काफी उज्जवल है। हालांकि, इन सबके बावजूद देश को बाहरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, जिनमें वैश्विक वित्तीय अस्थिरता शामिल है।

कशिन कहते हैं कि इन दिनों भारत का चालू खाता घाटा काफी घट गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि हुई है। इसलिए भारत बेहतर तरीके से इन बाहरी चुनौतियों का डटकर सामना कर पाएगा।