जीडीपी के नए आंकडे पर रिजर्व बैंक ने उठाए सवाल
Source : business.khaskhabar.com | Mar 09, 2015 | 

मुंबई। करंसी और मनी मार्केट्स के मामले में अधिकारों पर कैंची चलाने को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच पहले से ठनी हुई है और अब जीडीपी ग्रोथ के डेटा भी तनाव का एक नया पहलू जोडते दिख रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स की रपट के अनुसार जीडीपी ग्रोथ के संशोधित आंकडों पर सवाल उठाते हुए आरबीआई ने सरकार से और सूचना मांगी है ताकि पोटेन्शल ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया सके। मॉनिटरी पॉलिसी से जुडे फैसलों में पोटन्शल ग्रोथ रेट एक अहम पैमाना होती है।
जानकारों ने बताया कि आरबीआई ने बैक सीरीज डेटा मांगा है जिसकी जरूरत पोटेन्शल ग्रोथ रेट के आंकलन में होती है। पोटेन्शल ग्रोथ रेट मौजूदा क्षमता पर हो सकने वाली सबसे ज्यादा ग्रोथ का अनुमान होता है। जिस नए तरीके से जीडीपी ग्रोथ रेट को रिवाइज किया गया है, उसी तरीके के आधार पर पिछले कुछ दशकों के लिए रिवाइज्ड जीडीपी आंकडों को बैक सीरीज डेटा कहा जा रहा है। ये भी बताया गया कि ऎसा डेटा हासिल करना मुश्किल होगा। इकॉनमी का ढांचा बदल गया है।
पहले के वषोंü पर नया तरीका लगाने के लिए जिस सूचना की जरूरत है, वह तो एक तरह से है ही नहीं। संभावित विकास का आकलन करने के मोटे तरीके तो हैं, लेकिन कोई भी केंद्रीय बैंक ऎसे आंकडों के आधार पर अपनी क्रेेडिट और मॉनिटरी पॉलिसी नहीं बनाना चाहेगा। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर आरबीआई, सरकार और सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑर्गनाइजेशन में बातचीत चल रही है। बेस इयर को बदलकर 2011-12 करने के अलावा सीएसओ ने इंटरनैशनल लेवल पर स्वीकार्य विधि भी लगाई है और उसने फैक्टर कॉस्ट के बजाय मार्केट प्राइसेज पर जीडीपी के आकलन में प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज के कहीं ऊंचे आंकडों का इस्तेमाल किया है।
इस नई सीरीज के आधार पर वित्त वर्ष 2012 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ अब 4.8 फीसदी है (पहले की सीरीज में यह 4.5फीसदी थी) और 2014 के लिए 6.9फीसदी है, जो पहले की सीरीज में 4.7फीसदी थी। माना जा रहा है कि आरबीआई ने नए तरीके को स्वीकार तो कर लिया है, लेकिन उसने कुछ धारणाओं पर सवाल उठाए हैं, जिनके आधार पर ग्रोथ का ऎसा अनुमान लगाया गया।