बैंकों को इस साल अतिरिक्त पूंजी की आस कम : मूडीज
Source : business.khaskhabar.com | Feb 12, 2015 | 

चेन्नई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के तहत 2015 में काउंटर साइक्लिकल कैपिटल बफर (सीसीसीबी) के सक्रिय होने की उम्मीद नहीं है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी "मूडीज" ने यह जानकारी दी। मूडीज के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में भारत का देसी ऋण/सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात लगातार बढ़ रहा है।
मूडीज के मुताबिक, "हालांकि आरबीआई के ये दिशानिर्देश कर्जो के तेजी से बढ़ने की अवधि के दौरान बैंकों को पूंजी संरक्षित रखने और अपने बही-खातों को सामान्य रखने के लिए बाध्य करेंगे, जिससे बैंकों की कर्ज गुणवत्ता को लाभ होगा।" हाल ही में आरबीआई ने बेसल -3 के नियमों के तहत बैंकों की बढ़ी हुई न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं के अनुरूप घाटा सहने के लिए एक अतिरिक्त आवरण के रूप में सीसीसीबी को बनाए रखने के दिशानिर्देश जारी किए हैं। मूडीज के मुताबिक, ये दिशानिर्देश भारतीय बैंकों के कर्ज के लिए सकारात्मक हैं, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि कजोंü के तेजी से बढ़ने के बीच बैंकों को अतिरिक्त पूंजी अपने पास रखने की जरूरत होगी।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, अपनी लंबी अवधि के रूझान के अनुसार, कर्ज/जीडीपी अनुपात बढ़ने से यह सीसीसीबी सक्रिय करने के लिए मुख्य उत्प्रेरक साबित होगा। आरबीआई के मुताबिक, कर्ज/जीडीपी अनुपात के बीच का अंतर बढ़ने और लंबी अवधि का रूझान 15 प्रतिशत अंकों से अधिक जाने की स्थिति में बैंकों को पूर्ण 2.5 प्रतिशत बफर रखने की जरूरत होगी। मूडीज के मुताबिक, कोर्पोरेट कर्ज भारतीय बैंकों के कुल कर्ज का 80 प्रतिशत है। इससे बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता नकारात्मक तरीके से प्रभावित हुई है, जिसका कारण कॉर्पोेरट जगत द्वारा अधिक लाभ उठाया जाना और पारिवारिक कर्ज की परिसंपत्ति गुणवत्ता अपेक्षाकृत स्थाई रहना है।