पोंजी फर्मो के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है आरबीआई
Source : business.khaskhabar.com | Nov 11, 2014 | 

प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पोंजी योजनाएं चला रही इकाइयों पर कार्रवाई कर सकता था क्योंकि इसके पास इससे जु़डे अधिकार थे। निदेशालय कई घोटालों की जांच कर रहा है जिनमें सारदा और रोज वैली जैसी कई कंपनियां शामिल हैं जो गैरकानूनी तौर पर धन इकटा कर रही थीं। प्रवर्तन निदेशालय के सूत्र ने बताया आरबीआई के पास इस तरह धन इकटा करने वाली कंपनियों की जांच और इन पर कार्रवाई करने का अधिकार था क्योंकि ये आरबीआई अधिनियम की धारा 58(ब) के तहत आती हैं। लेकिन रिजर्व बैंक ने इसकी पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने रिजर्व बैंक और सेबी दोनों से सवाल किये थे और इस संबंध में उनकी भूमिका के बारे में पूछा था। सूत्र ने सेबी की तारीफ करते हुए कहा कि हालांकि, उसके पास जांच का अधिकार नहीं था फिर भी उसने इन कंपनियों के खिलाफ मिली कुछ शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शुरू की।
उन्होंने कहा रिजर्व बैंक का कहना है कि मामले में उसकी भूमिका सिर्फ नियमकीय प्रकृति की है। हालांकि, हमने रिजर्व बैंक अधिकारियों को लंबी प्रश्नावली भेजी थी जिसका संतोषजनक जवाब अभी मिलना बाकी है जबकि जवाब देने की समय सीमा पार हो चुकी है। सूत्र ने कहा कि रिजर्व बैंक के पास प्रवर्तन की ताकत भी है। उनके मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय को जो जवाब मिले हैं उसमें बताने से ज्यादा छुपाया गया है। इसलिए रिजर्व बैंक को फिर से उचित जवाब तैयार करने के लिए कहा गया है। सूत्र ने कहा कि सारदा मामले में आपराधिक गतिविधियों के जरिए अर्जित संपत्ति पहचान की प्रçRया पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल द्वारा गठित और अब विघटित श्यामल सेन आयोग द्वारा जमाकर्ताओं को धन वापस करने के संबंध में उठाए गए कदमों की वजह से कानूनी प्रçRया आगे बढ़ाने में मुश्किल हो रही थी।
मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि श्यामल सेन आयोग ने दक्षिण चौबीस परगना के विष्णुपुर क्षेत्र में सारदा समूह द्वारा निर्मित संपत्तियों में रहने वालों से उनके अपार्टमेंट के पंजीकरण के लिए पैसे मांगे थे। उन्होंने कहा अपार्टमेंट मालिकों ने आयोग को पैसे देकर अपने फ्लैटों का पंजीकरण करा लिया। इसका नतीजा यह है कि हमें इन संपत्तियों को जब्त करने के बावजूद न्यायिक प्रçRया शुरू करने में दिक्कत का सामना करना प़ड रहा है। उन्होंने कहा हमने संग्रह की गई राशि के बारे में पूछा। लेकिन यह राशि राज्य सरकार को दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय में कर्मचारियों और लाजिस्टिक्स संबंधी कमी के कारण भी बाधा पैदा हो रही है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने अंग्रेजी में लिखने वाले कई स्तंभकारों और लेखकों को भी बुलाया जिन्होंने सारदा समूह के अखबारों के लिए लिखा और विदेश यात्रा पर गए। प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और ओडिशा में सारदा समूह की 600 करो़ड रूपए की संपत्तियां जब्त की हैं।