केरोसिन पर 12 रूपए प्रति लीटर की सब्सिडी देगी सरकार
Source : business.khaskhabar.com | July 14, 2015 | 

नई दिल्ली। सरकार ने राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल की आपूर्ति पर तेल विपणन कंपनियों को प्रति लीटर 12 रूपए सब्सिडी देना तय किया है लेकिन इसका बिक्री मूल्य नहीं बढाया जाएगा। दाम को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने के लिए ओएनजीसी जैसी तेल उत्खनन कंपनियों से 5,000-6,000 करोड रूपए का योगदान करने को कहा जाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए केरोसिन 14.96 रूपए लीटर पर बेचा जाता है जबकि इसकी वास्तविक लागत 33.47 रूपए है। लागत के मुकाबले इसकी बिक्री 18.51 रूपए प्रति लीटर के नुकसान में की जाती है।
इस नुकसान की भरपाई सरकार की नकद सब्सिडी के जरिए या फिर तेल उत्खनन कंपनियों के योगदान से की जाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस नुकसान को पाटने के लिए फार्मूले को अंतिम रूप दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, वित्त मंत्रालय बजट से सार्वजनिक क्षेत्र की ईंधन विक्रेता कंपनियों को केरोसिन के लिए 12 रूपए लीटर का नकद भुगतान करेगी।
इसके बाद बिक्री मूल्य और उत्पादन लागत के बीच जो भी अंतर बचेगा उसकी भरपाई ओएनजीसी, ऑयल इंडिया जैसी उत्खनन कंपनियां करेंगी। राशन प्रणाली के तहत केरोसिन के मौजूदा बिक्री मूल्य पर उत्खनन कंपनियों को 6.51 रूपए प्रति लीटर या पूरे साल के लिए 5,000-6,000 करोड रूपए का योगदान करना होगा। घरेलू रसोई गैस मामले में सरकार ने लागत से कम वसूली का पूरे साल का बोझ स्वयं उठाने का फैसला किया है। हर परिवार को 14.2 किलोग्राम के हर साल 12 सिलिंडर की आपूर्ति 417.82 रूपए की सब्सिडीशुदा दर पर की जाती है। इस दाम पर वास्तविक लागत के मुकाबले 198.68 रूपए की कम वसूली होती है जिसका वहन पूरी तरह से सरकार करेगी।
अधिकारी ने कहा, सरकार ने एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) पेश किया जिसके तहत रसोई गैस के उपभोक्ताओं को सरकारी खजाने से सीधे नकद सब्सिडी दी जाती है। वित्त मंत्रालय ने इसका पूरी तरह से वहन करने का फैसला किया है। एलपीजी उपभोक्ताओं को लागत के मुकाबले वसूली के अंतर के बराबर राशि सीधे उनके खाते में मिलती है ताकि वे 608.50 रूपए के बाजार मूल्य पर 14.2 किलो के सिलिंडर खरीद सकें। अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में एलपीजी सब्सिडी के लिए 22,000 करोड रूपए और केरोसिन के लिए 8,000 करोड रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा, केरोसिन के लिए प्रावधान पर्याप्त है लेकिन एलपीजी के लिए अतिरिक्त कोष प्रदान करना पड सकता है।