भारत का विदेशी व्यापार बढा
Source : business.khaskhabar.com | Dec 26, 2014 | 

नई दिल्ली। वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत के बाद से भारत का विदेश व्यापार 18 गुना से अधिक बढा जबकि इस दौरान व्यापार घाटे में 22 गुना से अधिक बढोतरी हुई। देश का विदेश व्यापार (निर्यात व आयात) आलोच्य अवधि में 13.42 प्रतिशत की दर से बढा है। देश का विदेश व्यापार 1990-91 में 42 अरब डालर था जो कि 2013-14 में बढकर 765 अरब डालर तक पहुंच गया।
आधिकारिक आंकडों के अनुसार हालांकि, आलोच्य अवधि में व्यापार घाटा यानी निर्यात के मुकाबले अधिक आयात का अंतर बढकर 2013-14 में 136 अरब डालर पर पहुंच गया जो कि 1990-91 में छह अरब डालर पर था। विशेषज्ञों का कहना है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट के कारण व्यापार घाटा बढा है। भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के महाप्रबंधक अजय सहाय ने कहा, "देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में लगातार गिरावट आई है।
जीडीपी में क्षेत्र का योगदान 23-24 प्रतिशत से घटकर फिलहाल लगभग 15 प्रतिशत रह गया है। बढते व्यापार घाटे का प्रमुख कारण यही है।" वित्त वर्ष 2012-13 में कम से कम 80 देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा रहा जिसमें चीन, आस्ट्रेलिया व इराक शामिल है। वर्ष 2013-14 में वैश्विक आर्थिक संकट और उसके बाद यूरोप में सरकारों के समक्ष ऋण संकट से विकसित देशामें मंदी के चलते अमेरिका, सिंगापुर, बांग्लादेश, हांगकांग, द नीदरलैंड्स, श्रीलंका, ब्रिटेन, केन्या, नेपाल और वियतनाम के साथ व्यापार संतुलन पक्ष में रहा। मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल नवंबर अवधि में भारत का आयात 4.65 प्रतिशत बढकर 316.37 अरब डालर रहा जबकि निर्यात 5.02 प्रतिशत बढकर 215.75 अरब डालर हो गया। इस अवधि में व्यापार घाटा 100.61 अरब डालर रहा जबकि एक साल पहले यह 96.89 अरब डालर पर था।