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घरेलू बचत को मिले प्रोत्साहन : राजन

Source : business.khaskhabar.com | Dec 13, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Incentivise domestic savings to boost economy: Raghuram Rajan नई दिल्ली। आगामी आम बजट से पहले आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने घरेलू बचत को प्रोत्साहन दिए जाने की वकालत की ताकि देश में निवेश को बल मिल सके। राजन ने कहा, "लोगों के लिए बचत पर आयकर का फायदा सामान्यत: नाम मात्र का होता है, क्योंकि इस लाभ का वास्तविक मूल्य खत्म हो चुका होता है। घरेलू बचत के लिए बजट में प्रोत्साहन से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि देश में निवेश की अवश्यकता मुख्यत: घरेलू वित्तीय बचतों के जरिए पूरी हो जाए।" वह यहां फिक्की में आयोजित भरत राम मेमोरियल गोष्ठी में बोल रहे थे। राजन ने कहा कि घरेलू मांग का वित्तपोषण जिम्मेदारी से होना चाहिए और जहां तक संभव हो यह घरेलू बचत के जरिए की जाए।

उन्होंने कहा, "हमारी बैंकिंग प्रणाली पर कुछ दबाव है। हमारे बैंकों को परियोजना आकलन और पुनर्गठन में अतीत की गलतियों से सीखना होगा क्योंकि वे हमारी अर्थव्यवस्था की बहुत बडी जरूरत पूरी करते हैं।" आरबीआई प्रमुख ने यह भी कहा कि बैंकों को अपनी क्षमता सुधारनी होगी क्योंकि उनकी प्रतिस्पर्धा अब हाल में लाइसेंस प्राप्त सभी तरह की सेवाएं प्रदान करने वाले बैंकों और भुगतान एवं लघु वित्त बैंकों से है जिन्हें जल्दी ही लाइसेंस प्रदान किया जाना है। उन्होंने कहा, "साथ ही हमें कायाकल्प या एनपीए वसूली की प्रक्रिया के सामने बाधा खडी कर उनके काम को और मुश्किल नहीं बनाना चाहिए। आरबीआई, सरकार और अदालतों को यहां उल्लेखनीय काम करना है।"

मुद्रास्फीति पर उन्होंने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति के 2-6 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य के संबंध में सरकार के साथ चर्चा करेगी। आरबीआई के गवर्नर ने कहा, "आने वाले दिनों में हम सरकार के साथ उचित समय सीमा के संबंध में जिसमें अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति के 2-6 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य के दायरे में लाया जा सके।" मौद्रिक लिहाज से उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति को कम और स्थिर रखने पर ध्यान देने से वृद्धि के लिए बेहतरीन हालात बनेंगे। उन्होंने कहा, "हालांकि इस घटनाक्रम के लिहाज से केंद्रीय बैंक को यह देखना है कि उभरते बाजार उतने लचीले नहीं हैं जितनी औद्योगिक व्यवस्थाएं। इसलिए अपस्फीति का मार्ग उतना तीव्र नहीं हो सकता जितना कि औद्योगिकी अर्थव्यवस्था में क्योंकि उभरता बाजार ज्यादा नाजुक होता है और लोगों के पास अतिरिक्त व्यवस्था या सुरक्षा तंत्र कमजोर होती है।" उन्होंने कहा "भारत में वोल्कर (फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन पॉल वोल्कर) जैसी अपस्फीति कभी संभव नहीं है, लेकिन उर्जित पटेल का मुद्रास्फीति कम करने का रास्ता हमारे अनुकूल है ताकि अपस्फीति के दौरान भी अच्छी वृद्धि दर सुनिश्चित हो।"