आर्थिक सुधार को लेकर कंपनियों को ज्यादा उम्मीद नहीं : एसोचैम
Source : business.khaskhabar.com | July 19, 2015 | 

नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों को आने वाले दिनों में देश के आर्थिक परिवेश में सुधार आने की ज्यादा उम्मीद नहीं है। निवेश परिवेश नकारात्मक होने, निर्यात में गिरावट और उपभोक्ता वस्तुओं के दाम पर दबाव के चलते ऎसी धारणा बनी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के कारोबारी विश्वास (बिजकोन) सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है। इससे पहले मार्च में हुए सर्वेक्षण में 82.6 प्रतिशत ने कहा था कि आने वाले महीनों में स्थिति में सुधार होगा लेकिन इस तरह की उम्मीद रखने वालों का अनुपात जून में हुये ताजा सर्वेक्षण में कम होकर 54.8 प्रतिशत रह गया। सर्वेक्षण में विभिन्न स्तरों पर अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन किया गया है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए 61.5 प्रतिशत ने कहा कि स्थिति छह माह पहले की तुलना में कमोबेश वैसी ही बनी हुई है।
एसोचैम महासचिव डीएस रावत ने कहा, "मार्च की तुलना में जून में कारोबारियों की उम्मीद कम होने के पीछे कई वजह हो सकतीं हैं। इसकी सबसे बडी वजह वैश्विक मांग के नकारात्मक संकेत मिलना है जिसकी वजह से निर्यात में लगातार गिरावट आ रही है। वैश्विक बाजार में कमजोर मांग की वजह से ही उपभोक्ता जिंसों के दाम पर भी दबाव बना हुआ है और परिणामस्वरूप निवेश परिदृश्य प्रभावित हो रहा है।" एसोचैम सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 51.6 प्रतिशत के अनुसार रोजगार के मोर्चे पर अप्रैल से जून 2015 की अवधि में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। निकट भविष्य में भी रोजगार परिदृश्य में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा रही है। राय व्यक्त करने वालों के अनुसार, "हालांकि, सरकार ने व्यावसायिक परिवेश सुगम बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, लेकिन इसके बाद भी निवेश परिदृश्य ज्यादा उम्मीद भरा नहीं लगता है।"
अर्थव्यवस्था में गतिविधियों में तेजी लाने के लिए सर्वेक्षण में कहा गया है, "औद्योगिक वृद्धि को बढावा देने के लिए सबसे अहम उत्प्रेरक ढांचागत विकास होगा। इसके बाद प्रभावी नीतिगत सुधार, परियोजना की मंजूरी में तेजी, कर्ज लागत कम करना और विदेशी मुद्रा विनिमय दर में स्थिरता महत्वपूर्ण होगी।" हालांकि, सर्वेक्षण में बाहरी परिदृश्य को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। वस्तुओं का निर्यात लगातार सातवें महीने गिरावट में रहा है। सर्वेक्षण में प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों ने औद्योगिक गतिविधियां बढाने के लिए जो प्रमुख सुझाव दिए हैं उनमें मुद्रास्फीति को निम्न स्तर पर रखना, व्यापार घाटे पर नियंत्रण, राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय करना, सूक्ष्म, लघु उद्योगों का संवर्धन, मुद्दों को तय समय में निपटाना, परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए लगातार निगरानी व्यवस्था तथा कराधान और औद्योगिक नीतियों का सरलीकरण प्रमुख है।