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मोदी के "ऎतिहासिक टैक्स सुधार" से डगमगाया व्यवसायी वर्ग का भरोसा

Source : business.khaskhabar.com | July 02, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Business class becoming disappoint for historical tax reformsनई दिल्ली। सालों से एक ऎसे टैक्स सिस्टम की परिकल्पना कर रहे भारत का बिजनस वर्ग भरोसा अब डगमगाने लगा है, जिसमें समान टैक्स प्रणाली की उम्मंीद की जा रही थी। देश का बिजनस वर्ग इसके लिए सालों से लॉबिंग कर रहा था। व्यवसायियों को नरेंद्र मोदी की सरकार से यह उम्मीद बनी थी कि ऎसा सेल्स टैक्स सिस्टम बनेगा जिससे उनकी लागत कम पडेगी और राज्य की सीमाओं पर ड्यूटी के भुगतान के लिए उनके ट्रकों को रूकना नहीं पडेगा।

मोदी सरकार ने जब गुड्स और सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कानून के क्रियान्वयन का आश्वासन दिया तो उनको भरोसा हो गया था कि जल्द ही उनको परेशानी भरे टैक्स सिस्टम से छुटकारा मिलेगा। लेकिन, जीसएटी बिल को लेकर जिस तरह का राजनीतिक समझौता करना पड रहा है, उसको देखते हुए अब बिजनस वर्ग में निराशा पैदा होने लगी है। भारत के टॉप बिजनस ग्रुप अब जीएसटी क्रियान्वयन की प्रçRया को धीमी करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि किसी प्रकार का समझौता न करने पडे। दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरूण जेटली इसे आगे बढाना चाहते हैं। जेटली इस कानून को आजादी के करीब 70 साल बाद का सबसे बडा टैक्स सुधार बताते हैं।

कारोबारी नेताओं का कहना है कि अगर यह प्रस्ताव अपने मौजूदा रूप में ही आगे बढता है तो यह फायदा की बजाए नुकसान का सौदा होगा। इससे मैन्युफैक्चरिंग की लागत बढ जाएगी जिससे आयात को बढावा मिलेगा। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्थानीय उद्योग और सीमारहित राष्ट्रीय बाजार निर्माण का अभियान कमजोर हो जाएगा। भारत में अभी केंद्रीय और राज्य स्तर पर कई चरणों में सेल्स टैक्स वसूला जाता है। कई बार तो एक ही सामान के लिए दो बार भी टैक्स भरना पड जाता है। दूसरी ओर ट्रकों को सीमा पर चेकिंग के दौरान अपना करीब एक चौथाई समय बर्बाद करना पडता है। प्रस्तावित जीएसटी में कम से कम 14 संघीय और राज्य स्तर पर वसूले जाने वाले चाजोंü को विलय करने का प्रावधान है।