वोडाफोन ने 3200 करोड का केस जीता
Source : business.khaskhabar.com | Oct 11, 2014 | 

नई दिल्ली। बंबई हाई कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला दिया कि वोडाफोन पर ट्रांसफर प्राइसिंग से जुडे मामले में 3200 करोड रूपए की आयकर की देनदारी नहीं बनती है। केंद्र सरकार के साथ पहले से ही एक बडे कर विवाद में उलझी ब्रिटेन की मोबाइल फोन सेवा प्रदाता के लिए यह फैसला एक बडा राहत भरा हो सकता है।
आयकर विभाग ने कंपनी को अतिरिक्त आयकर भुगतान के लिए नोटिस भेजा था। विभाग का आरोप था कि कंपनी ने अपनी अनुषंगी वोडाफोन इंडिया सर्विसेज का स्वामित्व ब्रिटेन स्थित मूल कंपनी को हस्तांतरित करते समय उसके शेयरों का मूल्य कम रखा था। यह सौदा वित्त वर्ष 2009-10 में हुआ था। मूल्य अंतरण की व्यवस्था समूह और विभिन्न देशों में स्थित उसकी कंपनियों के बीच होने वाले सौदे के लिए होता है। मुख्य न्यायधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति एम. सकलेचा की एक खंडपीठ ने कहा, "हमारे विचार से, शेयरों के निर्गम पर मिले शेयर प्रीमियम पर कोई करयोग्य आय का मामला नहीं बनता।" वोडाफोन के पक्ष में आए इस फैसले को इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि कुछ घरेलू कंपनियां भी इसी तरह के मूल्य अंतरण मामलों में शामिल हैं।
कर अधिकारियों ने वोडाफोन इंडिया को 17 जनवरी, 2014 को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था और बाद में एक आदेश पारित कर उसे अपने पुणे स्थित बीपीओ के शेयरों का कथित तौर पर कम मूल्य दिखाने के लिए 3200 करोड रूपए के अतिरिक्त कर का भुगतान करने को कहा था। वोडाफोन ने 27 जनवरी को हाई कोर्ट में आयकर विभाग के इस आदेश को चुनौती दी और अपनी दलील में कहा कि शेयरों के हस्तांतरण का सौदा भारतीय कर कानूनों के तहत करयोग्य नहीं है। कंपनी के वकील हरीश साल्वे ने दलील दी थी कि ऎसे शेयरों के निर्गम पर मिला शेयर प्रीमियम करयोग्य नहीं है। गौरतलब है कि शेल इंडिया और लेइटन इंडिया कांट्रैक्टर्स सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी विभिन्न अदालतों में मूल्य अंतरण के मामलों में मुकदमा लड रही हैं। फैसले का स्वागत करते हुए वोडाफोन ने एक बयान जारी कर कहा, "हम पूरी कानूनी कार्यवाही के दौरान लगातार कहते रहे हैं कि यह सौदा करयोग्य नहीं है।"