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भारत के साथ उत्पाद बनाने के संबंध मे भागीदारी चाहता है रूस

Source : business.khaskhabar.com | Feb 21, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 russia says want to jointly make futuristic defence products with indiaबेंगलुरू। भारत के रक्षा बाजार में अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए रूस ने कहा कि वह भारत के साथ संयुक्त रूप से उत्पाद बनाने के संबंध में भागीदारी का इच्छुक है जिन्हें भविष्य के बाजार मिलेंगे। मेक इन इंडिया पहल के तहत हर तरह के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन का वायदा करते हुए रूसी विनिर्माताओं ने कहा कि वे भारत की निजी कंपनियों के साथ भी भागीदारी करने के इच्छुक है, विशेष तौर पर फलते-फूलते वैमानिकी क्षेत्र में। रूस की सार्वजनिक क्षेत्र की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (यूएसी) के अध्यक्ष यूरी स्लायूसर ने 2015 को बेहद महत्वपूर्ण वर्ष करार देते हुए कहा कि उन्हें पांचवीं पीढी के लडाकू विमान (एफजीएफए) के संयुक्त उत्पादन की लंबे समय से अटकी योजना इस साल जोरशोर से शुरू होगी। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि विभिन्न तरह की भूमिका वाले परिवहन विमानों का संयुक्त उत्पादन बढेगा।

यहां आयोजित "एयरो इंडिया" प्रदर्शनी के मौके पर उन्होंने कहा, "2015 बेहद महत्वपूर्ण वर्ष है जबकि आप प्राथमिक डिजाइन से विस्तृत डिजाइन की दिशा में आगे बढेंगे। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि भारत के साथ सहयोग का स्तर जितना गंभीर है वैसा किसी अन्य देश के साथ नहीं है।" यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कोआपरेशन रूसी वैमानिक उद्योग का प्रमुख संगठन है। स्लायूसर ने कहा कि रूस और भारत मिलकर ऎसे उत्पाद का डिजाइन और विनिर्माण करेंगे जिन्हें भविष्य के बाजार मिलेंगे।

उन्होंने कहा, "यह दोनों पक्षों के भरोसे का प्रमाण है। यह हमारे अच्छी भावी संभावनाओं का प्रमाण है।" रूस बरसों से भारतीय रक्षा बाजार में प्रभाशाली भूमिका में रहख है लेकिन अब इसे अमेरिका, फ्रांस और इस्त्रायल जैसे अन्य देशों से भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है। अभी भी करीब 60 प्रतिशत भारतीय रक्षा उपकरण रूसी हैं या पूर्ववर्ती सोवियत संघ के देशों में बने हैं। स्लायूसर ने योजनाओं की रूपरेखा पेश करते हुए कहा कि रूस और भारत संयुक्त रूप से एसयू30 एमकेआई का विनिर्माण कर सकता है। गौरतलब है कि एसयू30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का प्रमुख युद्धक विमान है। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि भारतीय इंजीनियिरों ने एसयू30एमकेआई इंजन की ओवरहॉलिंग की कला में निपुणता हसिल कर ली है। सार्वजनिक क्षेत्र की एचएएल ने इस साल जनवरी में भारतीय वायुसेना को पहला ओवरहॉल किया गया सुखोई-30 एमकेआई युद्धक विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा जिससे भारत ऎसा इकलौता देश बन गया जो रूस में बने इस विमान में पूरी तरह बदलाव कर सकता है। स्लायसूर ने यह भी कहा कि उनकी भारतीय उद्योग के साथ रूसी गठजोड और वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में सहयोग बढाने में रूचि है।

उन्होंने कहा कि रूस भारतीय बाजार में सुखोई सुपरजेट 100 पेश करने का इच्छुक है जो एक आधुनिक फ्लाय-बाय-वाय टि्वन ईंजन जेट है जिसमें आठ से 108 सवारियों के बैठने की जगह है। एफजीएफए के बारे में सुखोई के मुख्य कार्यकारी इगोर ओजार ने कहा कि वार्ता अंतिम चरण में है और कम से कम रूसी पक्ष को उम्मीद है कि वह 2015 में इस पर हस्ताक्षर करेगा। एफजीएफए पर प्राथमिक डिजाइन समझौते पर एचएएल और रूसी सुखोई डिजाइन ब्यूरो के बीच 2010 में समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था ताकि दोनों देशों के उपयोग के लिए विमान बनाए जा सकें। लेकिन अंतिम अनुसंधन एवं विकास अनुबंध जिस पर 2012 में हस्ताक्षर होना था, उसे अभी भी अंतिम स्वरूप नहीं दिया गया है। अनुबंध से नमूने के विकास और उडान परीक्षण का रास्ता साफ होगा।