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24 करोड़ जनधन खातों में अब तक 42,000 करोड़ रुपये जमा:जेटली

Source : business.khaskhabar.com | Sep 16, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 rs 42000 crore in jan dhan accounts cannor all come from re 1 accountsarun jaitley 85621नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली शुक्रवार को सरकारी बैंकों के तिमाही कामकाज की समीक्षा की। मीटिंग के दौरान जेटली ने सिर्फ विभिन्न वित्तीय समेकित योजनाओं की समीक्षा ही नहीं, बल्कि पूरी बैंकिंग प्रणाली पर भी गौर फरमाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंक अपनी शाखाओं में जांच कर रहे हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि जन-धन खातों में पैसा खाताधारकों ने ही जमा कराया है या जीरो बैलेंस वाले अकाउंट्स की संख्या को कम करने के लिए इसे बिजनस कॉरस्पॉन्डेंट द्वारा जमा कराया गया है। खबरें आई थी कि पंजाब ऐंड सिंध बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा बैंक ऑफ इंडिया के बैंकरों ने खुद ही जनधन खातों में एक रुपये जमा कराए हैं, जिससे जीरो बैलेंस वाले अकाउंट्स की संख्या को कम कर दिखाया जा सके।

जेटली ने कहा कि कुछ खातों के मामले में यह मुद्दा उठा है और इन चार बैंकों के नाम सामने आए हैं। हमने उनसे पूछा है। बैंक अपने अकाउंट्स से इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या खाताधारकों ने खातों में पैसा खुद डाला है या फिर बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट ने उनके खाते में पैसा जमा कराया है। इसके बाद बैंक वित्तीय सेवा विभाग को अपनी रिपोर्ट देंगे। सरकारी बैंकों की समीक्षा को दौरान जेटली ने कहा कि 24 करोड़ जनधन खाते हैं जिनमें जमा राशि 42,000 करोड़ रुपये है। ये 24 करोड़ खाते मुख्य रूप से कमजोर तबके के हैं। अब इन लोगों ने खातों में 42,000 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। यह 42,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा सिर्फ एक रुपया डालकर हासिल नहीं किया जा सकता।
आपको बता दें कि सरकार की फ्लैगशिप वित्तीय समावेशी योजना प्रधानमंत्री जनधन योजना का मकसद देश के हर शख्स को वित्तीय सेवाएं, जमा खाता, ऋण और दुर्घटना बीमा कवर उपलब्ध कराना है। इस दौरान छह जून को हुई पिछली समीक्षा बैठक के सुझावों पर भी विचार किया गया। आपको बता दें कि पिछली बैठक में गैर निष्पादित संपत्तियों, बुरे कर्ज, कर्ज और बैंकों के विस्तार एवं संकुचन आदि की समीक्षा की गई थी। जेटली ने पिछली बैठक के बाद कहा था, बैंकों को सशक्त बनाने, एक अनुकूल माहौल में कामकाज करने के लिए विभिन्न सुझाव आए हैं। सरकार इस संदर्भ में बैंकों को सहयोग देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।