नेपाल की बैंकिंग व्यवस्था ने विमुद्रीकृत भारतीय मुद्रा को रोका
Source : business.khaskhabar.com | Nov 11, 2016 | 

काठमांडू। भारत द्वारा 500 और 1000 के नोटों को अमान्य करने के फैसले का
नेपाल पर भी व्यापक असर हुआ है। नेपाल की बैंकिंग व्यवस्था ने भारत के 500
और 1000 के नोटों के अमान्य होने के कारण 3.5 करोड़ रुपये की भारतीय मुद्रा
को जारी करने से रोक दिया है। नेपाल राष्ट्र बैंक के प्रवक्ता नारायण
पोडेल ने कहा, हमारे द्वारा लाइसेंस प्राप्त बैंकिंग संस्थाओं ने सूचना दी
है कि गुरुवार से उन्होंने 3.5 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित भारतीय मुद्रा को
रोक लिया है। उन्होंने कहा कि अन्य बैंकों से विवरण मिलने के बाद इन
प्रतिबंधित नोटों की कुल राशि बढक़र चार करोड़ रुपये हो सकती है।
समाचार
एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नेपाल के केंद्रीय बैंक का मानना है कि भारत की
सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वालों लोगों और व्यपारियों के साथ ही भारत
से पहुंचे नेपाली प्रवासी मजदूरों के पास बड़ी मात्रा में ऐसी भारतीय
मुद्रा हो सकती है।
पोडेल ने कहा, आम जनता के पास मौजूद भारतीय मुद्रा के बारे में हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
नेपाल में 100 रुपये की भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल बहुत लंबे समय से होता रहा है।
भारत
ने पिछले साल नेपाल के आग्रह पर नेपाल में 500 और 1,000 रुपये के नोट के
उपयोग की अनुमति दी थी। नेपाल में बड़ी मात्रा में नेपाली प्रवासी घर लौटते
समय अपने साथ भारतीय मुद्रा लेकर जाते हैं, इसलिए भारत ने पड़ोसी देश के
आग्रह को स्वीकार कर लिया था।
इसके बाद नेपाली प्रवासियों और भारतीय नागरिकों को 25,000 रुपये तक की राशि अपने साथ नेपाल लाने की छूट दी गई थी।
मोदी
सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले से नेपाल की
बैंकिंग व्यवस्था, नेपाली प्रवासियों और भारत-नेपाल की सीमा से सटे इलाकों
में रहने वाले लोग हैरान व परेशान हो गए हैं। लोग लगातार बैंकों से पूछ रहे
हैं कि उनके पास मौजूद इन भारतीय मुद्राओं को किस तरह बदला जाएगा।
नेपाल के केंद्रीय बैंक ने प्रतिबंधत भारतीय मुद्रा को बदलने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से सहयोग मांगा है।
नेपाल
राष्ट्र बैंक के विदेशी मुद्रा प्रबंधन विभाग के निदेशक बासुदेव अधिकारी
ने कहा, हमने नेपाल में मौजूद भारतीय मुद्रा को बदलने के लिए आरबीआई को
पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को भारत के साथ कूटनीतिक तौर पर
सुलझाने के लिए नेपाल के वित्त मंत्री को भी पत्र लिखा गया है।