चिकन, अंडे की बढ़ी मांग, पोल्ट्री इंडस्ट्री में रिकवरी
Source : business.khaskhabar.com | Oct 29, 2020 | 

नई दिल्ली। चिकन और अंडे की मांग बढ़ने से पोल्ट्री इंडस्ट्री का कारोबार
तेजी से पटरी पर लौटने लगा है। नवरात्र के समाप्त होने के बाद चिकन और अंडे
की मांग बढ़ने से इनकी कीमतों में तेजी आई है जिससे कुक्कुट पालक किसानों
को फायदा होने लगा है। कुछ महीने पहले देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के
इलाके में उपभोक्ताओं को जहां चिकन 130-140 रुपये किलो मिल रहा था वहां अब
250 रुपये प्रति किलो बिकने लगा है। इसी प्रकार, अंडे के दाम में भी इजाफा
हुआ है। चकन और अंडे के दाम में आई इस तेजी का लाभ किसानों के इंडस्ट्री से
जुड़े लोगों के साथ-साथ किसानों को भी मिलने लगा है, क्योंकि पोल्ट्री फीड
की मांग बढ़ने से मक्का और सोयाबीन की कीमतों में इजाफा हुआ है।
पोल्ट्री
फार्म संचालकों को अब एक चिकन के लिए 90 रुपये तक का दाम मिलने लगा है और
अंडे भी 500 रुपये प्रति सैकड़ा के ऊपर के भाव बिकने लगे हैं। हालांकि चिकन
और अंडे का यह रेट पूरे देश में एक जैसा नहीं है। मांग के अनुसार, रेट में
भी अंतर है।
बिहार के सीवान जिले के पोल्ट्री फार्म संचालक दूध
किशोर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि होल सेल में एक चिकन के लिए 70 से 80
रुपये मिल रहा है, लेकिन जिस बाजार में मांग ज्यादा है उसमें ज्यादा भाव
मिलता है। सिंह ने बताया कि एक चूजा की कीमत न्यूनतम 30 रुपये और अधिकतम 45
रुपये होती है और उस पर दो महीने का खर्च करीब 20-25 रुपये पड़ता है, इस
प्रकार प्रति बर्ड पर किसानों को 15-20 रुपये तक मुनाफा हो जाता है।
उन्होंने
बताया कि अंडे का होलसेल भाव गुरुवार को 527 रुपये था जबकि खर्च प्रति
अंडा 3.60 रुपये पड़ता है। इस प्रकार अब अंडे से किसानों को लाभ हो रहा है
जबकि कुछ महीने पहले खर्च भी नहीं निकल रहा था।
चिकन और अंडा कारोबारी बताते हैं कि नवंबर से चिकन और अंडे की खपत और बढ़ जाएगी।
कारोबारियों
के अनुसार, कोरोना काल में अफवाह के कारण तबाह हुई पोल्ट्री इंडस्ट्री को
पूरी तरह से पटरी पर लौटने में अभी और वक्त लगेगा।
चिकन से
कोरोनावायरस फैलने की अफवाहें सोशल मीडिया पर फैलने से देश की पोल्ट्री
इंडस्ट्री को कोरोना काल के आरंभिक दौर में भारी नुकसान झेलना पड़ा, मगर
अफवाह दूर होने पर चिकन और अंडे की मांग में सुधार होने लगा और अब होटल,
रेस्तरां और ढाबा खुलने से इनकी खपत लगातार बढ़ती जा रही है।
कारोबारी
बताते हैं कि इस साल मार्च से लेकर मई तक पोल्ट्री इंडस्ट्री तबाह रही,
लेकिन जून से थोड़ी रिकवरी शुरू हुई और अब मांग बढ़ने से कारोबार बढ़ने लगा
है क्योंकि उद्योग में हर स्तर पर लोगों को बचत हो रही है।
पोल्ट्री
फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रमेश खत्री का कहना है इंडस्ट्री में
रिकवरी है लेकिन छोटे किसानों के पास पूंजी नहीं होने के कारण वे दोबारा
काम शुरू नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण उनको इतना घाटा
हुआ कि नुकसान के डर से वे दोबारा काम शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटा पा
रहे हैं। खत्री ने बताया कि बड़े कारोबार तो इंडस्ट्री में टिके हुए हैं,
लेकिन छोटे कारोबारी बाहर हो चुके हैं इसलिए डंडस्ट्री में रिकवरी की बात
करें तो कुल मिलाकर 25 से 30 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पाई है।
मंडी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोयाबीन का भाव जहां मार्च में 3300
रुपये प्रति क्विंटल से कम हो गया था वहां इस समय सोयाबीन 4200-4300 रुपये
प्रति क्विंटल बिक रहा है। इसी प्रकार मक्के का भाव 1,000-1,100 रुपये
प्रतिक्वंटल तक गिर गया था, वहां अब मक्का 1,300-1,400 रुपये प्रतिक्विंटल
बिकने लगा है।
(आईएएनएस)
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