कर्ज नहीं चुकाने वाली बडी कंपनियां "मुफ्त की सवारी" जैसी : आरबीआई
Source : business.khaskhabar.com | Nov 26, 2014 | 

आणंद/गुजरात। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ बडे कर्जदारों पर "जोखिमरहित पूंजीवाद" का आनंद उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब करने के लिए इस तरह की कंपनियां जिम्मेदार हैं। राजन ने कहा कि इस तरह की कंपनियां बैंकिंग प्रणाली में "मुफ्त की सवारी" जैसी बन गई हैं। वे यहां ग्रामीण प्रबंधन संस्थान-आणंद में तीसरा वर्गीज कुरियन व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि कुछ बडे कर्जदारों को पैसा देने के कारण सरकारी बैंकों को होने वाले नुकसान की कीमत अंतत: करदाताओं व ईमानदार कर्जदारों को चुकानी पडती है। गवर्नर ने कहा जिस बडे कर्जदार को दिया गया कर्ज फंस जाता है उसे "उद्योगजगत की हस्ती" से महिमामंडित नहीं नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इस देश के मेहनतकशों के सर पर ""मुफ्त की सवारी करने वाले" के रूप में निंदित किया जाना चाहिए।"
रघुराम राजन का यह बयान ऎसे समय में आया है जबकि अनेक सार्वजनिक बैंक बढती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से जूझ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कर्ज कुछ बडी कंपनियों को दिया गया है और वसूली प्रकिया महीनों से से लंबित है। राजन ने कहा कि वे जोखिम लेने के खिलाफ नहीं है लेकिन वित्तीय दबाव में के समय प्रवर्तक कंपनी को बंद करने की धमकी देते हैं और सरकार, बैंक और नियामकों से रियायतों की मांग करते हैं ताकि उसे जारी रखा जा सके। उन्होंने कहा, "हमें यह सवाल करना होगा कि क्या हमारी ऋण प्रणाली मजबूत है। दुर्भाग्य से इसका जवाब है-नहीं। ऋण अनुबंध की शुचिता को हाल ही साल में लगातार चोट पहुंची है और यह चोट छोटे कर्जदारों ने नहीं बल्कि बडे कर्जदारों ने पहुंचाई है।" उल्लेखनीय है कि राजन ने इस मुद्दे पर एक किताब "सेविंग कैप्टिलिज्म रिफॉम द कैप्टिलिस्ट्स" भी लिखी थी।