"भारत में सिंगापुर मॉडल को दोहराया जा सकता है"
Source : business.khaskhabar.com | Nov 22, 2014 | 

सिंगापुर। भारतीय उद्योगपतियों का मानना है कि यदि भारत में श्रम कानूनों को उदार बनाया जाए और मौजूदा संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग किया जाए तो देश में सिंगापुर के विकास मॉडल को सफलतापूर्वक लागू कर सकता है। सिंगापुर इंडियन चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (सिक्की) के परामर्शक सीईओ जार्ज अब्राहम ने सिंगापुर के संदर्भ में कहा, "यहां हम अपनी ताकतों का इस्तेमाल करते रहे हैं।" सिंगापुर अपने सीमित संसाधनों के बावजूद कई देशों के लिए विकास का मॉडल बन गया है। भारतीय मूल के उद्यमी ने कहा कि 1965 में स्वतंत्रता के बाद सिंगापुर ने जाना कि उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है।
इसलिए, उसने अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए खुद को एक प्रमुख पारगमन केंद्र के तौर पर विकसित किया। अब्राहम ने कहा, "हम जानते हैं कि मानव संसाधन हमारी सबसे बडी ताकत है, लेकिन साथ ही हमारे यहां बूढे लोगों की आबादी भी बढ रही है। इसलिए सरकार यह संभावना तलाश रही है कि बुजुगोंü को किस तरह से उत्पादक क्षेत्रों में लगाया जाए।" सिक्की के अन्य सदस्यों ने भी अब्राहक के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि कई लोग भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं, लेकिन वे कानूनी पचडों की वजह से हतोत्साहित होते हैं। वास्तव में इस तरह के नियम व नियमन निवेशकों को नाराज करने के अलावा किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते।