बीमा करने के लिए नए नियमों को लेकर पशोपेश में पडी बीमा कंपनियां!
Source : business.khaskhabar.com | May 29, 2014 |
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम सहित विभिन्न जीवन बीमा कंपनियां बीमा करने के नए नियमों को लेकर पशोपेश में पड गई हैं। नए नियमों के अनुसार इन कंपनियों को नई पॉलिसी की बिक्री करते समय ग्राहकों के बैंक खातों का ब्यौरा अनिवार्य रूप से लेना होगा। बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा ने यह नया नियम जारी किया है। यह नियम 1 अप्रैल 2014 से लागू हो गया है। इसके तहत नई बीमा पॉलिसी खरीदने वाले ग्राहकों से उनके बैंक खातों का ब्यौरा लेना अनिवार्य कर दिया गया है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित विभिन्न बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि वह इस नियम को लेकर बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के समक्ष अपनी बात रखेंगे। इरडा से इन नियमों में ढील देने का आग्रह किया जाएगा, या फिर कम से कम इसके अनुपालन के लिए और समय दिए जाने को कहा जाएगा। बीमा कंपनियों कई छोटे शहरों में बीमा प्रीमियम की काफी राशि नकद रूप में लेती हैं। कई छोटे शहर हैं जहां बैंकिंग सेवाएं या तो आसपास उपलब्ध नहीं हैं अथवा उनका व्यापक तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाता है। एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "छोटा कारोबार करने वालों अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी में ज्यादा कारोबार होता है। करीब 40 प्रतिशत बीमा प्रीमियम आज भी नकद राशि में प्राप्त होता है और इस तरह की उम्मीद करना कि सभी का बैंक खाता होगा, जल्दबाजी होगी।" अधिकारी ने कहा कि बीमा उद्योग इस बात को तो फिर भी स्वीकार कर सकता है कि नियामक इसे अनिवार्य बना दे कि राशि का भुगतान केवल ग्राहक के बैंक खाते में ही किया जाना चाहिए लेकिन इसे बीमा पॉलिसी लेने के लिए पूर्व शर्त रखने से इसमें अडचन ही आएगी।" इरडा के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बारे में कहा कि उन्हें नए नियम से होने वाली इस परेशानी के बारे में कुछ बीमा कंपनियों ने बताया है। अधिकारी ने यह भी कहा कि बीमा उद्योग में कई कंपनियां बैंकों द्वारा प्रवर्तित हैं और इन कंपनियों का 70 प्रतिशत बीमा कारोबार उसके बैंक ग्राहकों से ही आता है इसलिये उन्हें अनिवार्य बैंक खाते के मामले में ज्यादा समस्या नहीं होगी। हालांकि, उन्होंने माना कि इस तरह की बीमा कंपनियों की पहुंच सीमित दायरे में ही है।