अफोर्डेबल हाउसिंग को राहत, लोंग टर्म बांड पर सीआरआर, एसएलआर खत्म
Source : business.khaskhabar.com | July 16, 2014 | 

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने अफोर्डेबल हाउसिंग और ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढावा देने के लिए बैंकों को बडी राहत दी है। आरबीआई ने इन क्षेत्रों में बैंकों द्वारा निवेश के लिए दीर्घकालीन बांड के जरिए जुटाई गई रकम को सीआरआर और एसएलआर जैसी नियामकीय बाधाओं से मुक्त कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अब बैंक इंफ्रा और अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर को कर्ज देने के लिए कम से कम 7 वर्ष और उससे ज्यादा की मैच्योरिटी वाले दीर्घकालीन बांड जारी कर पूंजी जुटा सकते हैं।
असल में अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे सेक्टरों को कर्ज देने का मतलब यह है कि बैंकों की बडी रकम बहुत लंबी अवधि के लिए बाजार में फंस जाती है। इससे उनके सीआरआर अनुपात पर सीधा असर पडता है इसलिए अक्सर बैंक अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे सेक्टरों के लिए पूंजी जुटाने से कतराते रहे हैं। यह सेक्टर जोखिम वाला भी है, जहां परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं होतीं। इस लिहाज से आरबीआई के इस हालिया फैसले से अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में निवेश को मदद मिलेगी।
अफोर्डेबल हाउसिंग को फाइनेंसिंग के लिहाज से प्रायोरिटी सेक्टर में रखा गया है इसलिए इस सेक्टर में बैंक छह प्रमुख मेट्रो शहरों में 65 लाख रूपये तक कीमत वाली प्रॉपर्टी पर 50 लाख रूपये और अन्य शहरों में 50 लाख रूपये मूल्य तक की प्रॉपर्टी पर 40 लाख रूपये कर्ज दे सकते हैं। दूसरी तरफ मांग के लिहाज से भी रियल एस्टेट में अफोर्डेबल हाउसिंग सबसे आगे है, क्योंकि इसके व्यक्तिगत उपयोग और निवेश, दोनों के लिहाज से यह सबसे पसंदीदा सेगमेंट है।