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शेयर बाजार : फेडरल रिजर्व के फैसले पर रहेगी नजर

Source : business.khaskhabar.com | Dec 13, 2015 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 Stock market: The Federal Reserve decision shall monitorमुंबई। देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा और महत्वपूर्ण आर्थिक आंक़डों पर निवेशकों की नजर रहेगी। अगले सप्ताह निवेशकों की नजर संसद के शीतकालीन सत्र की गतिविधियों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेश (डीआईआई) के आक़डों, डॉलर के मुकाबले रूपये की चाल और तेल की कीमतों पर भी बनी रहेगी। बाजार सोमवार 14 दिसंबर को औद्योगिक विकास दर के आंक़डे पर प्रतिक्रिया करेगा। आंक़डा शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जारी हुआ है। ताजा आंक़डे के मुताबिक, देश की औद्योगिक विकास दर अक्टूबर में 9.8 फीसदी रही, जो उम्मीद से काफी अधिक है। सोमवार को ही सरकार नवंबर महीने के लिए थोक महंगाई दर के आंक़डे जारी करेगी। अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर नकारात्मक 3.81 फीसदी थी। सोमवार को ही सरकार नवंबर महीने के लिए उपभोक्ता महंगाई दर के आंक़डे जारी करेगी। अक्टूबर में उपभोक्ता महंगाई दर पांच फीसदी दर्ज की गई थी। अगले सप्ताह सरकारी तेल विपणन कंपनियों पर भी निवेशकों का ध्यान रहेगा।

ये कंपनियां हर महीने के मध्य और अंत में गत दो सप्ताह के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के आधार पर तेल मूल्यों की समीक्षा करती हैं। अगले सप्ताह संसद के शीतकालीन सत्र के घटनाक्रमों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। सत्र 26 नवंबर को शुरू हुआ है और 23 दिसंबर तक चलेगा। निवेशक खास तौर से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित किए जाने से संबंधित घटनाक्रमों पर नजर लगाए रहेंगे। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण लंबित है। सरकार राज्यसभा में बहुमत में तभी आ पाएगी, जब राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को जीत मिलती जाए।

भाजपा को 19 महीनों के दौरान दो राज्यों- दिल्ली और बिहार में झटका लग चुका है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व की बैठक मंगलवार 15 दिसंबर और बुधवार 16 दिसंबर को होगी, निवेशकों को उम्मीद है कि इस बैठक में फेड दरों में वृद्धि करने का फैसला कर सकता है। फेड ने दिसंबर 2008 के बाद से अपनी दर को लगभग शून्य पर कायम रखा है। उभरती अर्थव्यवस्था को डर है कि दर बढ़ाने से वैश्विक निवेशक उभरते बाजार से बाहर निकलकर अमेरिका में निवेश करेंगे, जिस कारण उभरते बाजारों से भारी मात्रा में पूंजी का बाहर की ओर प्रवाह होगा।