"कोल इंडिया का नहीं होगा विभाजन"
Source : business.khaskhabar.com | Jun 30, 2014 | 

नई दिल्ली। बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया के विभाजन की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि नई सरकार विश्व की सबसे बडी कोयला खनन कंपनी को विखंडित नहीं होने देगी। गोयल ने कहा कि इसके बजाय सरकार कंपनी का प्रदर्शन सुधारने के लिए उसकी दिक्कतों को दूर करेगी। उन्होंने कहा कि नई सरकार कोयला क्षेत्र की समस्या जल्दी दूर करना चाहती है, ताकि देश भर में बिना बाधा बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। कोयला सबसे सस्ता ईंधन है और देश में आधे से ज्यादा बिजली उत्पादन में इसका इस्तेमाल होता है। कोयला भंडार के मामले में भारत में वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है, लेकिन पर्यावरण संबंधी मंजूरी में देरी, भूमि अधिग्रहण की समस्या और अक्षम प्रणाली के कारण देश विश्व का तीसरा सबसे बडा आयातक बन गया है। बैंक अधिकारी से राजनेता बने 50 वर्षीय गोयल का मानना है कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को एक कंपनी के रूप में बनाए रखकर समस्या का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम विस्तार से कोल इंडिया के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं और मुझे लगता है कि इसकी दिक्कतें दूर करने और विभिन्न खानों का उत्पादन बढाने में बडी संभावना है। उन्हें लगता है कि मूल्य बढाने और दक्षता बढाने के लिए कोल इंडिया की सात कंपनियों को स्वतंत्र कंपनियों में तब्दील करने की बजाय एक कंपनी के रूप में बरकरार रखना फायदेमंद है जिसका भारत के कुल कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत योगदान है।
गोयल ने कहा कि मुझे लगता है कि इससे शेयर बाजार में कंपनी का मूल्यांकन बढ सकता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि संयुक्त होल्डिंग अच्छे प्रदर्शन के आडे आती है। कोल इंडिया 2013-14 में 48.2 करोड टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य से चूक गई और इस दौरान सिर्फ 46.2 करोड टन कोयले का उत्पादन किया। कंपनी की सात सहयोगी अनुषंगियां साउथ-ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड, महानदी कोलफील्डस लिमिटेड, ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड, भारत, कोकिंग कोल इंडिया, सेंट्रल कोलफील्डस लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड और नॉर्दर्न कोलफील्डस लिमिटेड हैं। इनमें से दो इकाइयां साउथ-ईस्टर्न कोलफील्डस और महानदी कोलफील्डस कंपनी के कुल उत्पादन में आधे से अधिक का योगदान करती हैं।
कोल इंडिया की स्थापना सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई के तौर पर 1975 में की गई थी। 2010 में कंपनी ने देश की सबसे बडी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची। फिलहाल कंपनी का बाजार पूंजीकरण 2,41,379.87 करोड रूपए है। होल्डिंग कंपनी के ढांचे के फायदे का ब्योरा देते हुए गोयल ने कहा कि परिचालन में सामंजस्य और एक कंपनी से दूसरे कंपनी में प्रतिभा और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान के लिहाज से यह ढांचा बेहतर है। मंत्री का यह भी मानना है कि एक कंपनी कोयला संपर्क को तर्कसंगत बनाने से जुडी समस्या का समाधान करने में ज्यादा सक्षम होगी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी और कोल इंडिया के बीच कोयले की गुणवत्ता से जुडे विवाद को सुलझाना नई सरकार के लिए एक और चुनौती होगी। गोयल ने कहा कि इन कंपनियों की कुछ समस्याएं वाजिब हैं इसे सुलझाने के लिए सिर्फ थोडा दिमाग लगाने की जरूरत है।