चीन ने बनाया अपना विश्व बैंक, अमेरिका, जापान परेशान
Source : business.khaskhabar.com | Dec 05, 2015 |
पेइचिंग। इंडोनेशिया के बाली में अक्टूबर, 2013 में जब दुुनिया के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में चीन ने कई देशों के सहयोग से एक बैंक के गठन की बात कही थी, तो अमेरिका ने इसका स्वागत किया था, लेकिन, अब वह खुद चीन के इस कदम से खतरा महसूस कर रहा है। उस वक्त अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से कहा था, "यह एक ग्रेट आइडिया है।" चीन का कहना है कि वह इस बैंक के जरिए गरीब देशों में रेल, रोड और बिजली परियोजनाओं को मदद करने का काम करेगा। मगर अमेरिका अब मानना है कि चीन इसे विश्व बैंक के विकल्प के तौर पर खडा कर सकता है और अपनी शर्तो पर दुनिया के आर्थिक एजेंडे को आगे बढा सकता है।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीन का रेकॉर्ड आशंकाएं पैदा करता है। सरकारों को अस्थिर करने के लिए ऋण देने, गैर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए डील करने का चीन का एजेंडा रहा है। मगर अमेरिका इस बैंक की स्थापना को रोकने में विफल साबित हो रहा है। अफगानिस्तान से लेकर इराक तक में अमेरिका का साथ देने वाले देशों ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया ने भई इस बैंक के लिए हामी भर दी है। जापान और अमेरिका को छोडकर अब तक कुल 57 देश इस बैंक से जुड चुके हैं। इसी सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने चीन की मुद्रा युआन को डॉलर, यूरो, पाउंड और येन के साथ दुनिया की ताकतवर करंसीज में से एक बताया था। आईएमएफ के चीनी डिविजन हेड रहे ईश्वर प्रसाद ने बताया, दुनिया में अपनी नीतियों को वैधता दिलाने के लिए यह बैंक चीन का टूल साबित हो सकता है। खेल के नियमों को बदलते हुए वह दुनिया की राजनीति और आर्थिकी को इसके जरिए प्रभावित कर सकता है।
कैसे आया इस बैंक का आइडिया!
चीन एक प्रभावशाली अधिकारी ने 2007 में लाओस की मेकॉन्ग नदी के पास स्थित कुछ गांवों का दौरा किया था। कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी में एक सीनियर अधिकारी झेंग शिनी ने देखा कि लोग यहां झोपडियों में रहने को मजबूर हैं, जबकि उनके पास उपजाऊ जमीन है। इसकी वजह यह है कि वह जो कुछ उपजाते हैं, उसे बेचना मुश्किल होता है, क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव की वजह से वह मार्केट से दूर है। झेंग ने इन मुश्किलों को चीन के लिए एक अवसर के दौर पर देखा। बैंक के गॉडफादर कहे जाने वाले झेंग के मुताबिक, आर्थिक तौर पर देखें तो यह चीन के लिए प्रोत्साहन बढाने वाला कदम है। झेंग ने बैंक बनाने का प्रस्ताव तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ के सहायक को दिया था, लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं थे। इसके बाद झेंग ने यह आइडिया 2013 में राष्ट्रपति बने शी चिनफिंग को दिया, जिन्होंने इसे हाथोंहाथ लिया।