"रिलायंस जियो को दिया गया ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम हो रद्द"
Source : business.khaskhabar.com | Jun 30, 2014 | 

नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने इन्फोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज (अब रिलायंस जियो इन्फोकॉम) को देशभर में दिए गए ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम का आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश नीलामी में गडबडी करने तथा नियमों के उल्लंघन के आरोप में की गई है।
कैग की दूरसंचार विभाग को टिप्पणी के लिए भेजी गई रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है, दूरसंचार विभाग शुरूआत से ही नीलामी गडबडी (कीमत बढाने की गडबडी) किए जाने को पकडने में नाकामयाब रहा जबकि एक छोटी सी स्वतंत्र सेवा प्रदाता कंपनी इन्फोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज ने अखिल भारतीय ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम ने अपनी नेटवर्थ (हैसियत) का 5,000 गुना भुगतान कर ब्राडबैंड स्पेक्ट्रम प्राप्त कर लिया। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इन्फोटेल के स्पेक्ट्रम जीतने के कुछ घंटों बाद ही इसके अधिग्रहण की घोषणा की। बाद में इसे रिलायंस जियो इन्फोकाम का नया नाम दिया गया। रिलायंस जियो ने कहा, अभी कैग की ऎसी किसी अंतिम रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।
हम ऎसी किसी सिफारिशों को सिरे से खारिज करते हैं। स्पेक्ट्रम नीलामी भारत सरकार की निगरानी में पूरी तरह पारदर्शी तरीके से की गई। कैग की रिपोर्ट के मसौदे के अनुसार उस समय आईबीएसपीएल स्वतंत्र सेवा प्रदाता (आईएसपी) की सूची में 150वें नंबर पर थी। उसने पहले 252.50 करोड रूपए का बयाना दिया था और तीसरे पक्ष तथा निजी बैंकों के पर्दे के प्रत्यक्ष और परोक्ष सहायता के साहारे उसने अखिल भारतीय स्पेक्ट्रम के लिए 12,847.77 करोड रूपए का भुगतान किया, जो उसके नेटवर्क का 5,000 गुना था। स्पेक्ट्रम नीलामी पूरी होने के दिन ही कंपनी को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेच दिया गया। मसौदा रिपोर्ट के अनुसार, आईबीएसपीएल की जिस मिलीभगत और गोपनीय सूचना को तीसरे पक्षों को सूचनाएं दिए जाने की ओर संकेत दिया जा रहा है व (उसकी ओर से) नीलामी के नियम व शतोंü का उल्लंघन था। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम की नीलामी भारतीय दूरसंचार इतिहास की सबसे प्रतिस्पर्धी नीलामी थी। इसमें अखिल भारतीय स्पेक्ट्रम के लिए आरक्षित मूल्य से छह गुना अधिक अंतिम बोली प्राप्त हुई। प्रवक्ता ने कहा कि नीलामी के समय किसी तरह की गडबडी का कोई प्रमाण नहीं है।
ऎसे में साठगांठ, गोपनीय सूचनाओं की भागीदारी या गडबडी के किसी भी आरोप को खारिज किया जाता है। कैग ने दूरसंचार विभाग के उस जवाब को खारिज कर दिया है कि नीलामी में भागीदारी की पात्रता पूरी जांच पडताल के बाद क्षेत्र के नियामक ट्राई की सिफारिशों के आधार पर तय की गई थी। कैग ने कहा कि यह विभाग की जिम्मेदारी थी कि वह सुनिश्चित करता कि केवल गंभीर आईएसपी इसमें भागीदारी करतीं। दूरसंचार विभाग ने अपने जवाब में कहा कि नीलामी में भागीदारी के लिए न्यूनतम नेटवर्थ या चुकता पूंजी का कोई मानदंड नहीं था। कैग ने कहा है कि न तो दूरसंचार विभाग का शीर्ष प्रबंधन या अन्य समितियां साठगांठ को पकड पाईं।
अंतर मंत्रालयी समिति भी यह नहीं समझ पाई कि कैसे ढाई करोड के नेटवर्थ की एक छोटी सी कंपनी 12,847.77 करोड रूपए की बडी राशि का भुगतान कर पाई। कैग की मसौरा रिपोर्ट में कहा गया है कि (अंतर मंत्रालयी समिति) अपने को संतुष्ट नहीं कर सकी की 2.5 करोड रूपए की हैसियत की कंपनी 10 दिन में 12,847.77 करोड रूपए कैसे जमा कराएगी। कैग की रिपोर्ट के मसौदे में सरकार से इस मौके पर भी "इस मामले की जांच कराने" और नीलामी के नियम व शतोंü के उल्लंघन की जिम्मेदारी तय करने, बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम रद्द करने तथा मिलीभगत में शामिल फमोंü को दंडित करने की सिफारिश की है। कैग का यह भी कहना है कि आरजियो को 1,658 करोड रूपए के भुगतान पर वाय-सर्विस (काल सेवा) की अनुमति देने से कंपनी को 22,842 रूपए का अनुचित फायदा हुआ है। विभाग का कहना है कि नीलामी में सभी प्रकार की दूरसंचार कंपनियों को भाग लेने की छूट थी और बीडब्ल्यूए (ब्राडबैंड स्पेक्ट्रम पर) वायस सर्विज की पाबंदी नहीं लगाई गई थी। कैग की रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है कि आईबीएसपीएल का प्रवर्तक निदेशक 11 जून 2010 को इलेक्ट्रानिक मीडिया के साक्ष जा कर इस बात की पुष्टि की कि जब नीलामी चल रही थी उस समय वे नीलामी के दौरान ही आरआईएल से संपर्क में थे। रिपोर्ट में इसे गोपनीयता के उपबंध का उल्लंघन बताया।