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दुनिया से टैलंट नहीं जुटाएंगे तो कहां टिकेंगे US के ऐपल, IBM

Source : business.khaskhabar.com | Apr 25, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 where would apple ibm be if not for talent from across globe rbi governor urjit patel 204071न्यू यॉर्क। संरक्षणवाद को लेकर परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि ऐपल, सिस्को और आईबीएम जैसी दिग्गज उनकी कंपनियों ने अगर दुनियाभर से टैलंट और उत्पादों को तवज्जो नहीं दिया होता तो वे कहां होतीं। एक व्याख्यान देने के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमें पता भी है कि इस बारे में अमेरिकी नीति आखिर कहती क्या है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ धारणा है कि खुली कारोबारी व्यवस्था से दुनिया को फायदा हुआ है।’
पटेल ने यह बात दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में संरक्षणवादी भावनाओं के उफान को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित दुनियाभर की सबसे कुशल कंपनियों के शेयरों की कीमतें आज ग्लोबल सप्लाई चेन की वजह से इतनी ऊंची हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐपल कहां होता, सिस्को कहां होता, आईबीएम कहां होता, अगर इन्होंने दुनियाभर से उत्पादों और टैलंट को नहीं अपनाया होता। अगर नीतियां इस रास्ते में आएंगी तो अंतत: संरक्षणवाद को समर्थन करने वाले किसी देश में बड़ी संपत्ति पैदा करनेवाली कंपनियां प्रभावित होंगी।’
पटेल ने कहा कि अमेरिका इक्विटी और घरेलू सामान वितरण के मुद्दे पर संरक्षणवाद के रास्ते पर चल पड़ा है जबकि अर्थशास्त्र के बुनियादी सिद्धांत कहते हैं कि इनसे टैक्सेशन और इनकम ट्रांसफर्स जैसी घरेलू वित्तीय नीति के जरिए निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद के लिए ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल किसी राष्ट्र को विकास के माहौल से अलग कर सकता है। इसके लिए कस्टम्स ड्यूटीज, बॉर्डर टैक्स जैसे ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल सबसे कारगर तरीका नहीं हो सकता, बल्कि इससे आप कहीं और ही चले जाएंगे। आपको पता नहीं है कि जिन मुद्दों का आप समाधान करना चाहते हैं, उसके इतर इक्विटी और वितरण पर इन नीतियों के क्या असर होंगे।
पटेल ने कहा, ‘इसे घरेलू नीति का मुद्दा मानना चाहिए और इनसे निपटने के मकसद से घरेलू वित्तीय नीति का इस्तेमाल करना चाहिए।’
भारतीय रुपया की बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह पूर्णतया बाजार निर्धारित है और केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप सिर्फ उठापटक को शांत करने के लिए होता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें आगे बढ़ते हुए इसी नीति का पालन करना ही हमारे लिए उचित है।’

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