यूनिटेक के दोनों MDगिरफ्तार,पुलिस रिमांड पर
Source : business.khaskhabar.com | Apr 01, 2017 |
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लयू) ने शनिवार को रियल एस्टेट
कंपनी यूनिटेक के प्रबंध निदेशकों (एमडी) संजय चंद्रा और उनके भाई अजय
चंद्रा को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद एक अदालत ने उन्हें दो दिनों की
पुलिस हिरासत में भेज दिया।
चंद्रा बंधुओं के खिलाफ ग्राहकों को धोखा देने का मामला दर्ज किया गया है।
आरोप है कि यूनिटेक गुरुग्राम के सेक्टर 70 में अपनी एक परियोजना को समय पर
पूरा नहीं कर पाई और उन्होंने ग्राहकों को इसके एवज में ब्याज समेत राशि
भी नहीं लौटाई।
दोनों को पेश करते हुए पुलिस ने अदालत से कहा कि
धनराशि का पता लगाने तथा मामले से संबंधित दस्तावेज बरामद करने के लिए
उन्हें उनकी हिरासत की जरूरत है, जिसके बाद अतिरिक्त मुख्य महानगर
दंडाधिकारी आशु गर्ग ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया।
दिल्ली
पुलिस के प्रवक्ता मधुर वर्मा ने कहा, ईओडब्ल्यू की एक टीम शुक्रवार रात
को गुरुग्राम पहुंची और संजय चंद्रा तथा अजय चंद्रा के आवास पर छापा मारा।
टीम ने उन्हें करीब 35 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में गिरफ्तार कर
लिया।
अधिकारी ने साथ ही बताया कि गुरुग्राम की परियोजना के मामले
में चंद्रा भाइयों के खिलाफ 91 शिकायतें मिली थीं। परियोजना के लिए संबंधित
प्राधिकरण से वैध अनुमति भी नहीं ली गई थी।परियोजना 2014 में पूरी होने वाली थी।आरोपियों के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी तथा आपराधिक षड्यंत्र के तहत मामला दर्ज किया गया।
दिल्ली
पुलिस ने शुक्रवार को अदालत से कहा कि एंथिया फ्लोर्स रेसिडेंसियल
प्रोजेक्ट के लिए यूनिटेक कंपनी ने 557 ग्राहकों से कथित तौर पर 363 करोड़
रुपये की उगाही की।यह भी आरोप है कि टाउनशिप के निर्माण के लिए संबंधित अधिकारियों ने उनके लाइसेंस को मंजूरी नहीं दी।पर्यावरण विभाग से मंजूरी लिए बगैर प्रोजेक्ट को साल 2011 में शुरू किया गया था। यूनिटेक ने साल 2013 में पर्यावरण मंजूरी ली।
सरकारी
वकील अनिल पासवान ने अदालत से कहा कि पर्यावरण मंजूरी मिले बगैर आरोपी
फ्लैटों की बुकिंग करते रहे और उन्होंने निवेशकों को सही जानकारी तक नहीं
दी और इस प्रकार तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया।उन्होंने प्रोजेक्ट पर खर्च तथा धनराशि का पता लगाने के लिए आरोपियों की तीन दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की।
अदालत
ने महसूस किया कि पैसों की बरामदगी के लिए पूछताछ जरूरी है और कहा,ऐसा
लगता है कि इसमें कई निवेशक फंसे हुए हैं और भारी मात्रा में धनराशि भी फंस
गई है। अदालत ने कहा, निवेशकों ने अपनी गाढ़ी कमाई को आरोपियों
के सुपुर्द कर दिया..वे अभी भी अंधेरे में हैं कि उनका पैसा आखिर गया कहां
और यह किस तरह बरामद हो सकता है। न्यायाधीश ने कहा, यह भी स्पष्ट
है कि धोखाधड़ी की गई धनराशि अब तक न तो बरामद हुई है और न ही इसका पता चल
सका है, ताकि निवेशकों के हितों का बचाव किया जाए।
अदालत ने कहा, मेरी राय में मामले से संबंधित दस्तावेजों तथा सूचना प्राप्त करने के लिए आरोपियों की पुलिस हिरासत बेहद जरूरी है। न्यायाधीश
ने कहा,पैसे कहां गए इस बारे में पता लगाने तथा पैसों को कहां खपाया
गया, इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आरोपियों की जरूरत होगी। उल्लेखनीय है कि साल 2015 में अदालत ने धनराशियों के दुरुपयोग के एक मामले में उन्हें गैर-जमानती वारंट जारी किया था। संजय चंद्रा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं और वर्तमान में इस मामले में जमानत पर बाहर हैं।
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