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तमिलनाडु : बुआई में सालाना 29 फीसदी की गिरावट

Source : business.khaskhabar.com | May 16, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 tamil nadu 29 percent drop in sowing 213507नई दिल्ली। पिछले 140 वर्षों में सबसे बुरे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का असर समूचे तमिलनाडु में देखा जा रहा है। किसानों में पिछले साल के मुकाबले महज एक तिहाई जमीन पर ही बुआई की है, राज्य के छह प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर लगातार घटता जा रहा है और राज्य में किसानों की खुदकुशी की घटनाएं पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा हुई हैं।

वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान देश के चावल उत्पादन में 5.6 फीसदी हिस्सा इसी राज्य का रहा। दूसरी ओर, कृषि मंत्रालय ने इस साल देशभर में रिकॉर्ड बुआई का अनुमान लगाया है।

कृषि मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 2016-17 में खाद्यान्न उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक नौ फीसदी की वृद्धि होगी और यह 27.34 करोड़ टन रहेगी, जबकि 2015-16 में यह 25.15 करोड़ टन थी।

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु में सालाना आधार पर बुआई में 29 फीसदी की गिरावट आई है।

तमिलनाडु में 10 जनवरी, 2017 को आधिकारिक रूप से सूखे की घोषणा की गई। वहीं, राज्य सरकार ने सर्वोच्च को बताया कि किसानों की आत्महत्या सूखे से जुड़ी नहीं है, जबकि इसी दौरान किसानों के प्रतिनिधि नई दिल्ली में आंदोलन करने पहुंचे। वे मृत किसानों का कंकाल लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा।

दिल्ली में तमिलनाडु के किसानों के प्रतिनिधि और देशिया थेनिधया नाथीगल इनाईपू विवासायिगल संगम (नेशनल साउथ इंडियनन रिवर्स इंटरलिंकिंग फामर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष पी. अय्यकन्नू ने कहा कि तमिलनाडु सरकार का दावा है कि साल 2016 के अक्टूबर से अब तक महज 82 किसानों ने ही खुदकुशी की है, मगर यह आंकड़ा पूरी तरह से गलत है।

उन्होंने दावा किया कि करीब 400 किसानों ने अपनी जान दी है, जिसका मुख्य कारण सूखा है। हालांकि इंडियास्पेंड ने स्वतंत्र रूप से उनके दावे की पुष्टि नहीं की है।

तमिलनाडु की मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी से अब तक कुल 106 किसानों ने आत्महत्या की है। इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट भेजने के लिए नोटिस जारी किया था कि वह क्या कदम उठा रही है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2015 के बीच खेतिहर और खेतीविहीन किसानों की आत्महत्या मामले में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

अय्यकन्नू का कहना है कि पुलिस जानबूझकर किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट में पारिवारिक समस्याएं दर्ज करती हैं।

किसानों के अधिवक्ता ए. राजारमन ने इंडियास्पेंड को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 8 मई, 2017 को की गई सुनवाई में सूखे के कारण मरनेवाले किसानों के परिवार को दी जानेवाली मुआवजा राशि में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

अय्यकन्नू ने सूखे के कारण किसानों की खुदकुशी के मामले में राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और ए. ए. खानविल्कर की खंडपीठ ने राजारमन को सलाह दी कि पिछले एक साल में किसानों की आत्महत्या के 20 मामलों को सर्वोच्च न्यायालय लाने की बजाय उन्हें उच्च न्यायालय के नोटिस में लाना चाहिए।
 
राजारमन ने इंडियास्पेंड को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 3 मई 2017 को कहा था कि उसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडियों (स्थानीय बाजारों) के संरचनात्मक पहलुओं में दिलचस्पी है। सर्वोच्च न्यालाय मुआवजे के मुद्दे में शामिल होने के लिए अनिच्छुक था।

(आंकड़ा आधारित, गैर परोपकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत)
(आईएएनएस)

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