यात्री वाहन उद्योग वर्ष 2026 में नई ऊंचाइयों को छुएगा, 5 मिलियन यूनिट बिक्री का अनुमान
Source : business.khaskhabar.com | Apr 25, 2025 | 
नई दिल्ली। भारतीय यात्री वाहन (पीवी) उद्योग वित्त वर्ष 2026 में एक नया शिखर छूने की राह पर है। घरेलू और निर्यात बिक्री को मिलाकर कुल 5 मिलियन यूनिट से अधिक की बिक्री का अनुमान है। हालांकि, वार्षिक वृद्धि दर धीमी होकर 2-4 प्रतिशत रहने की संभावना है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्ट के अनुसार, यह लगातार चौथा वर्ष होगा जब पीवी उद्योग रिकॉर्ड बिक्री दर्ज करेगा। हालांकि, कोविड-19 महामारी के बाद वित्त वर्ष 2023 में 25 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के मुकाबले यह गति धीमी रहेगी।
क्रिसिल रेटिंग्स का मानना है कि इस वित्त वर्ष में यूटिलिटी व्हीकल (यूवी) की बिक्री नए लॉन्च, ब्याज दरों में संभावित कमी, सीएनजी वाहनों को तेजी से अपनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में अनुकूल परिस्थितियों के कारण समग्र वृद्धि को गति देगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा, "इस वित्त वर्ष में पीवी की वृद्धि दर 2-4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, लेकिन नए लॉन्च के समर्थन से यूवी की वृद्धि दर लगभग 10 प्रतिशत रहेगी। कुल पीवी बिक्री में यूवी का योगदान 68-70 प्रतिशत तक हो सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून और ब्याज दरों में संभावित कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है, जिससे एंट्री-लेवल कारों की मांग में वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेहतर नकदी प्रवाह और मजबूत नकदी भंडार के कारण मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) अपने उच्च पूंजीगत व्यय को आसानी से वित्त पोषित कर सकेंगे, जिससे उनकी बैलेंस शीट मजबूत और क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी।
पिछले वित्त वर्ष में, कुल पीवी बिक्री में घरेलू बाजार का योगदान 85 प्रतिशत था, जबकि शेष 15 प्रतिशत निर्यात से आया था।
ईंधन के प्रकार में भी तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। सीएनजी से चलने वाले पीवी की मांग बढ़ रही है और इस वित्त वर्ष में कम परिचालन लागत और 7,000 से अधिक रिफ्यूलिंग स्टेशनों के तेजी से बढ़ते नेटवर्क के कारण इनकी बाजार हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा, "इस वित्त वर्ष में पीवी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) लगभग 30,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, क्योंकि ओईएम क्षमता विस्तार, ईवी निवेश में तेजी और स्थानीयकरण व डिजिटल अपग्रेड पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हालांकि, मजबूत आंतरिक संसाधनों और नकदी अधिशेष के समर्थन से यह उच्च कैपेक्स टिकाऊ बना रहेगा, जिसमें कैपेक्स-टू-एबिटा 0.5 गुना पर स्थिर है।"
रिपोर्ट में भू-राजनीतिक तनावों के निर्यात की गति को प्रभावित करने की संभावना जताई गई है, लेकिन यह भी सुझाव दिया गया है कि ओईएम मैक्सिको, खाड़ी देशों, दक्षिण अफ्रीका और पूर्वी एशिया जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं।
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