5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था: ऑटो सेक्टर निभाएगा अहम भूमिका, सरकारी योजनाएं दे रहीं बूम
Source : business.khaskhabar.com | Jun 30, 2025 | 
नई दिल्ली। जैसे-जैसे भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर इस आर्थिक यात्रा में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है। यह क्षेत्र वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 7.1 प्रतिशत और विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 49 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सिर्फ एक वाणिज्यिक उद्योग से कहीं बढ़कर, ऑटो सेक्टर अब वैश्विक विनिर्माण और इनोवेशन में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रतिबिंब बन चुका है।
रोजगार और निर्यात का प्रमुख स्रोतः
ऑटोमोबाइल सेक्टर भारत में 3.7 करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करता है। निर्यात के मोर्चे पर, यह भारत के कुल निर्यात में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है, जो वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024-25 तक, भारत बिक्री के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है, जबकि उत्पादन के मामले में यह चौथा सबसे बड़ा बाजार है।
उत्पादन और निर्यात के आंकड़ेः
देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने हाल ही में विभिन्न सेगमेंट्स में 31 मिलियन (3.1 करोड़) से अधिक वाहनों का उत्पादन किया। इसमें 5 मिलियन से अधिक यात्री कारें, 1 मिलियन वाणिज्यिक वाहन, 1 मिलियन तिपहिया वाहन और लगभग 24 मिलियन दोपहिया वाहन शामिल थे। निर्यात के मामले में, भारत ने जापान, मैक्सिको, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे प्रमुख बाजारों में लगभग 5.7 मिलियन वाहनों का निर्यात किया है, जो भारतीय ऑटोमोबाइल की बढ़ती वैश्विक मांग को दर्शाता है।
सरकारी पहल और प्रोत्साहन योजनाएंः
भारत सरकार ऑटोमोबाइल सेक्टर की सतत वृद्धि सुनिश्चित करने और इसे और बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। इनमें से सबसे प्रमुख प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम है, जिसके लिए ₹25,938 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। यह योजना विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हाइड्रोजन वाहनों और अन्य एडवांस व्हीकल टेक्नोलॉजीज को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। 2025 की शुरुआत तक, इस योजना ने ₹67,000 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों को आकर्षित किया था, जिससे ₹2.3 लाख करोड़ की अतिरिक्त बिक्री और 7.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहल फेम-II योजना है, जिसे ₹11,500 करोड़ के बजट के साथ लॉन्च किया गया है। इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया, बसों और टैक्सियों को अपनाने को सपोर्ट करना है। इस योजना के तहत अब तक 1.3 मिलियन से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को सहायता प्रदान की जा चुकी है, जिससे पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल रही है।
बैटरी आत्मनिर्भरता की ओर कदमः
आयातित बैटरियों पर निर्भरता कम करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक मजबूत घरेलू आपूर्ति श्रृंखला बनाने हेतु, सरकार ने एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज के लिए ₹18,100 करोड़ के परिव्यय के साथ एक और PLI योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, तीन बड़ी कंपनियां पहले से ही भारत में बैटरी गीगाफैक्ट्री बनाने पर काम कर रही हैं।
यह पहल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाती है, और घरेलू उत्पादन से लागत में कमी तथा आत्मनिर्भरता आएगी।
संक्षेप में, ऑटो सेक्टर न केवल भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है, बल्कि यह सरकार की दूरदर्शी नीतियों और प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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