कारोबार के लिए बेहतर हुआ भारत में माहौल, लगाई 12 स्थानों की छलांग
Source : business.khaskhabar.com | Oct 28, 2015 | 

वॉशिंगटन। वर्ल्ड बैंक की "ईज ऑफ डुइंग बिजनेस" (आसानी से कारोबार करने लायक माहौल वाले देश) लिस्ट में भारत की रैंकिंग जबरदस्त सुधार है और यह रैंकिंग 12 पायदान सुधरकर 130 हो गई है। इससे पहले, भारत की रैंकिंग 142 थी। वर्ल्ड बैंक के शीर्ष अर्थशास्त्री और सीनियर वीपी कौशिक बसु ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। इससे पूर्व, देश में धीमे आर्थिक सुधारों से नाराज भाजपा नेता अरूण शौरी ने सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार को अ़ाड हाथों लेते हुए कहा था कि सरकार केवल मीडिया में सुर्खियों का प्रबंधन करने में व्यस्त है। वल्र्ड बैंक की यह रिपोर्ट इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
इस सूची में सिंगापुर अभी भी पहले पायदान पर बना हुआ है, जबकि विकासशील देशों ने पिछले साल अपने यहां करोबार के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए अपने प्रयास तेज किए हैं। वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, इस सूची में न्यूजीलैंड दूसरे पायदान पर बना हुआ है। डेनमार्क तीसरे, दक्षिण कोरिया चौथे, हॉन्ग कॉन्ग पांचवें, ब्रिटेन छठे और अमेरिका सातवें पायदान पर हैं। स्वीडन ने नार्वे को पीछे कर आठवां स्थान हासिल किया है, जबकि नार्वे नौवें और फिनलैंड दसवें नंबर पर हैं। इसी सूची में चीन 84वें और पाकिस्तान 138वें पायदान पर हैं।
इससे पहले चीन 90वें और पाकिस्तान 128वें स्थान पर थे।
वर्ल्ड बैंक ने कहा, भारत के लिए बडी उपलब्धि...
प्रमुख अर्थशास्त्री कौशिक बसु का कहना है कि किसी भी एक बडी अर्थव्यवस्था के लिए 12 अंकों की छलांग लगाना बडी उपलब्धि है। विश्व में 142 से 130वें पायदान पर आना भारत के लिए अच्छे संकेत हैं। भारत में जिस तरह से बदलाव हो रहा है यह एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि अगर भारत आर्थिक सुधार जारी रखता है, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को जल्द लागू करता है और अफसरशाही खर्चे में कटौती करता है, तो वह 2016 तक ईज ऑफ डुइंग बिजनेस लिस्ट के शीर्ष 100 देशों में शामिल हो सकता है। बसु के मुताबिक, एक साल में भारत जैसे बडे देश के लिए यह बडी उपलब्धि है। हम देखते हैं कि जब किसी देश में सुधार शुरू किए जाते हैं, तो पहले साल मामूली बदलाव देखने को मिलता है।
दूसरे और तीसरे साल बडे बदलाव देखने में आते हैं, जबकि भारत ने यह पहले साल ही कर दिया है। इससे पता चलता है कि हम बहुत ज्यादा पॉजिटिव हैं। उन्होंने कहा कि भारत को तीन सेक्टर में रिफॉर्म तेज करने की जरूरत है। पहला छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए ब्यूरोक्रेटिक कॉस्ट (लाइसेंस, क्लियरेंस वगैरह लेने की प्रक्रिया में खर्च होने वाली रकम और वक्त) को कम करने की जरूरत है।
दूसरा, भारत को इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोड, रेलवे और पोर्ट में निवेश की रफ्तार बढाने की जरूरत है। तीसरा सेक्टर है इंटिग्रिटी यानी समग्रता। इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर जोर देना होगा। यह अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत रास्ता बनाने में मदद करेगा। बसु ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सबसे अहम जीएसटी है। अगर भारत को तेज विकास करना है,तो अगले साल बजट सेशन के बाद जीएसटी को लागू करना होगा। यह बडा बदलाव लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू नहीं होने से भारत में एक ट्रक के एक शहर से दूसरे शहर जाने में 60 फीसदी वक्त पेपरवर्क और टैक्स जमा करने में खर्च हो जाता है। जीएसटी लागू हो जाने के बाद कोई चेक पोस्ट नहीं होगा। सभी चार्ज एक डेस्टिनेशन पर जमा हो जाएंगे।