ब्याज दरों में कमी की संभावना नहीं के बराबर
Source : business.khaskhabar.com | Sep 07, 2014 | 

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान रघुराम राजन न सिर्फ बढती महंगाई तथा चालू खाता घाटा को कम करने, अर्थव्यवस्था में छायी सुस्ती दूर करने में सफल रहे हैं बल्कि उन्होंने आर्थिक विकास को पटरी पर लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। लेकिन महंगाई बढने के खतरे के मद्देनजर ब्याज दरों में कमी की संभावना नहीं के बराबर है।
राजन ने पिछले वर्ष चार सितंबर को कार्यभार ऎसे समय में संभाला था जब महंगाई और चालू खाता घाटा काबू आता नहीं दिख रहा था। विकास दर भी लगातार पांच प्रतिशत से नीचे बनी हुई थी और निवेश बढ़ नहीं रहा था। कार्यभार संभालने के बाद शुरूआत में उन्होंने अपने पूर्ववर्ती डी सुब्बाराव के पथ पर आगे बढते हुए महंगाई पर फोकस किया लेकिन बाद में उन्होंने महंगाई को नियंत्रित करने के उपायों के साथ ही निवेश बढाने पर भी जोर दिया और बैंकिंग क्षेत्र के लिए कई अहम दिशा-निर्देश भी जारी किए। अभी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है, लेकिन बदलाव के संकेत साफ दिखने लगे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर ढाई साल बाद 5.7 प्रतिशत पर पहुंची है।
हालांकि महंगाई के बढने का खतरा अभी भी बना हुआ है। उन्होंने जनवरी 2015 तक खुदरा महंगाई आठ प्रतिशत के नीचे लाने और जनवरी 2016 तक इसे छह प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। खुदरा महंगाई तो अभी उनके लक्ष्य के करीब है। थोक महंगाई भी सहज स्तर की ओर आ रही है जिससे रिजर्व बैंक पर ब्याज दरो में नरमी का दबाव बढ़ रहा है। केंद्रीय बैंक 30 सितंबर को चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की चौथी द्विमासिक समीक्षा पेश करने वाला है। विश्लेषक अभी से कह रहे हैं महंगाई बढने के खतरे के मद्देनजर ब्याज दरों में कमी की संभावना नहीं के बराबर है।