सियासी मतभेद से सुधार प्रक्रिया धीमी होगी:मूडीज
Source : business.khaskhabar.com | Jun 27, 2016 |
चेन्नई। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार
को कहा कि भारत में राजनीतिक मतभेदों के कारण सुधार प्रक्रिया में
उतार-चढ़ाव जारी रहेंगे, जबकि एजेंसी ने हाल ही में एफडीआई (प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश) नियमों में दी गई छूट को सकारात्मक बताया।
मूडीज ने एक बयान
में कहा कि संचालन वातावरण में सुधार और निवेश प्रçRया को आसान बनाने में
प्रगति के बावजूद दो प्रमुख क्षेत्रों में सुधार ठप है। पहला वस्तु एवं
सेवा कर और दूसरा भूमि अधिग्रहण विधेयक।
बयान में कहा गया है,हम उम्मीद करते हैं कि राजनीतिक मतभेद के कारण सुधारों
की रफ्तार धीमी रहेगी और इसमें उतार-चढाव आता रहेगा।
मूडीज ने कहा कि
सरकार ने 20 जून को एफडीआई नीति में ढील की घोषणा की है, जो सकारात्मक
क्रेडिट है क्योंकि यह सुधारों की गति की निरंतरता दिखाता है और निजी निवेश
के लिए रास्ता तैयार करता है तथा उत्पादकता को बढावा देनेवाला है।
मूडीज ने कहा है,इसके अतिरिक्त, उच्च एफडीआई भारत की बाह्य वित्तपोषण की
जरूरत ऎसे समय में पूरी करेगी, जब पोर्टफोलिया का प्रवाह सीमित है। पिछले
दो सालों में कुल एफडीआई में वृद्धि देखने को मिली है और 31 मार्च, 2016 को
खत्म हुए वित्तवर्ष में यह सर्वाधिक स्तर पर था। जो लगातार तीन वित्त वर्ष
के औसत 24.2 अरब से बढ़कर 36 अरब हो गया था।
एजेंसी ने कहा है कि वर्तमान में एफडीआई का प्रवाह चालू घाटे की तुलना में
अधिक है, जो वित्त वर्ष 2016 के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी है। यह वित्त
वर्ष 2013 से 4.8 फीसदी कम है।
मूडीज ने कहा है,एफडीआई का प्रवाह वित्तपोषण का एक निश्चित स्त्रोत प्रदान
करता है और निर्यात और बाहर से रेमिटेंस के रूप में आनेवाली पूंजी में कमी
से चालू घाटे को कमजोरी से बचाता है। इसके अलावा अधिक एफडीआई आने से अन्य
बाहरी वित्तीय जरूरतों की भी पूर्ति होती है। ऎसे समय में यह बेहद
सकारात्मक है, जब भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में उतार-चढाव का
रूख है।
रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि औद्योगिक गलियारे के विकास से एफडीआई
बढ़ेगी, जिससे भारत के बडे महानगरों और निवेश व उत्पादन क्षेत्रों के बीच
मेक इन इंडिया और स्मार्ट सिटी पहल के तहत नेटवर्क बनेगा।
मूडीज के मुताबिक केवल मजबूत एफडीआई से ही भारत में विकास की रफ्तार और
उत्पादकता तेज नहीं होगी। एफडीआई फिलहाल कुल अचल संपत्ति का 10 फीसदी है और
यह बंद पडे घरेलू निजी निवेश का विकल्प नहीं है। वित्त वर्ष 2016 में कुल
निवेश में नरमी बरकार रहेगी और यह 3.9 फीसदी रहेगी। इसके साथ ही कॉरपोरेट
लाभ में भी कमी आएगी और कई तिमाहियों तक निवेश गतिविधियों में कमजोरी देखने
को मिलेगी।
(आईएएनएस)