मारूति अल्पांश शेयरधारकों से लेगी गुजरात संयंत्र के लिए मंजूरी
Source : business.khaskhabar.com | Mar 15, 2014 | 

देश की सबसे बडी कार कंपनी मारूति सुजुकी ने अपने विवादास्पद गुजरात संयंत्र के लिए अल्पांश शेयरधारकों की मंजूरी लेने का अपने निदेशक मंडल की बैठक में निर्णय किया है। मारूति की मूल कंपनी सुजुकी मोटर कार्प ये संयंत्र लगा रही है।
शनिवार को चार घंटे चली इस बैठक में जापान की सुजुकी मोटर कार्प के चेयरमैन ओसामू सुजुकी भी शामिल हुए। मारूति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, हमारे लिये अल्पांश शेयरधारकों की मंजूरी लेना कानूनन जरूरी नहीं है लेकिन बोर्ड ने बेहतर कंपनी संचालन के उपाय के तौर पर ये निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी में 44 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले अल्पमत वाले शेयरधारकों में से तीन चौथाई को एक विशेष प्रस्ताव के जरिए कंपनी के प्रस्ताव को मंजूरी देनी होगी। भार्गव ने कहा कि गुजरात में प्रस्तावित मारूति के संयंत्र में पूरा निवेश मूल कंपनी सुजुकी मोटर द्वारा मूल्यह्र्ास और इç`टी के रूप में किया जायेगा। भार्गव ने कहा कि विनिर्माण अनुबंध समझौता समाप्त होने की स्थिति में भी गुजरात अनुषंगी की संपत्ति और विभिन्न सुविधाओं को बुक वैल्यू पर मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी जाएगी। संपर्क किए जाने पर एक प्रमुख फंड घराने ने कहा कि निदेशक मंडल ने जो फैसला किया है वह कंपनी और निवेशकों के हित में किया गया प्रतीत होता है। यह फंड भी मारूति के गुजरात संयंत्र प्रस्ताव का विरोध करता रहा है।
उल्लेखनीय है कि जनवरी में सुजुकी मोटर ने घोषणा की थी कि वह गुजरात में 2017 तक एक कार कारखाना लगायेगी जिसपर वह करीब 3,050 करोड रूपये निवेश करेगी। मूल रूप से यह संयंत्र लगाने का प्रस्ताव मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड का था। सुजुकी मोटर कार्पोरेशन अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई सुजुकी मोटर गुजरात के जरिए इस संयंत्र में निवेश करेगी। संयंत्र की शुरूआती क्षमता सालाना एक लाख कारों की होगी। मारूति ने शुरू में यह संयंत्र गुजरात के मेहसाणा में लगाने का प्रस्ताव किया था और 2012 में इसके लिये जमीन भी खरीदी लेकिन बाद में इसे सुजूकी मोटर ने अपने हाथ में ले लिया और भारतीय इकाई को कहा कि वह उत्पाद विकास और मार्केटिंग पर ज्यादा ध्यान दे। मारूति सुजूकी के संस्थागत निवेशकों ने कंपनी की इस पहल का विरोध करते हुये सेबी के पास गुहार लगाई और कंपनी में अल्पमत शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने के लिये मामले में हस्तक्षेप करने को कहा।