ऋण वसूली का कानून बैंकों के लिए अच्छा : मूडीज
Source : business.khaskhabar.com | Aug 09, 2016 | 

चेन्नई। मूडीज ने सोमवार को कहा कि एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेब्ट्स लॉ एंड मिसकलैनियस प्रोविजन बिल, 2016 और इंसोलवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (दिवालिया विधेयक) से बैंकों को खराब संपत्तियों से निपटने के लिए संरचनात्मक सुधारों को बढ़ावा मिलेगा।
जहां दिवालिया कानून लागू हो चुका है, वहीं एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेब्ट्स लॉ एंड मिसकलैनियस प्रोविजन बिल, 2016 अभी राज्यसभा से पारित होना बाकी है। हालांकि इसे लोकसभा ने मंजूरी दे दी है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेब्ट्स लॉ एंड मिसकलैनियस प्रोविजन बिल, 2016 भारतीय बैंकों के लिए सकारात्मक होगा, क्योंकि इसका लक्ष्य फंसे हुए कर्जों के संकल्प और बुरे कर्जों की वसूली में तेजी लानी है।
मूडीज ने कहा, ‘‘बुरे ऋण के समाधान के लिए मौजूदा प्रक्रियाओं में कमजोरी भारतीय बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक क्रेडिट चुनौती रहा है। वर्तमान में कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में करीब 70,000 मामले लंबित हैं और ये मामले कई बार स्थगन और लंबे समय तक सुनवाई के कारण कई साल से लंबित हैं।’’
मूडीज के मुताबिक, बैंकों के लिए अपने गैर निष्पादित ऋणों का बोझ उतारने के लिए परिसंपत्ति पुर्ननिर्माण कंपनियों को बढ़ावा देने का प्रावधान तथा
अन्य सभी ऋण और दावों (सरकारी दावों सहित) पर सुरक्षित लेनदारों को प्राथमिकता देने का प्रावधान भारतीय बैंकों के लिए अच्छा है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेब्ट्स लॉ एंड मिसकलैनियस प्रोविजन बिल, 2016 में प्रस्ताव दिया गया है कि ऋण जारी करने की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन की जाएगी, जिसमें ऋण वसूली प्राधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने की समयसीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी गई है और कर्जदारों को बैंकों के खिलाफ अपील दाखिल करने से पहले लिए गए कर्ज का कम से कम 50 फीसदी रकम जमा कराना होगा। (आईएएनएस)