जहरीले ई-कचरे के बेहतर प्रबंधन की जरूरत
Source : business.khaskhabar.com | Jun 26, 2016 | 

नई दिल्ली। ई-कचरा जहरीला और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है, लेकिन
ई-कचरे के पांचवें सबसे ब़डे उत्पादक देश भारत में अधिकांश ई-कचरे का
पुनचक्रण नहीं होता। विशेषज्ञों के मुताबिक जागरूकता बढाने और ई-कचरा
नियमों के बेहतर कार्यान्वयन से समस्या का समाधान हा सकता है।
उद्योग संघ एसोचैम द्वारा कराए गए कई अध्ययनों में इससे संबंधित चौंकाने
वाले तथ्य सामने आए हैं।
टिकाऊ कारोबार से संबंधित परामर्श कंपनी सीकाइनेटिक्स के साथ कराए गए एक
अध्ययन के मुताबिक देश में अनुमानित 18 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है, जो
सालाना 30 फीसदी चक्रवृद्धि दर से 2020 तक बढकर 52 लाख टन हो सकता है।
फ्रॉस्ट एंड सुलिवन के साथ कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक देश के सिर्फ 2.5
फीसदी ई-कचरे का पुनर्चक्रण होता है। दिल्ली की पुनर्चRण कंपनी पॉमपॉम के
सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक सेठी ने कहा, ई-कचरा समस्या
के दो कारण हैं- लोग ई-कचरे के प्रति जागरूक नहीं हैं और उनके पास इस
समस्या का समाधान नहीं है।
देश में मई 2012 में ई-वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल बन चुका है,
जिसमें ई-कचरे के एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण की जिम्मेदारी कंपनियों पर डाली
गई है। उपभोक्ताओं की भूमिका हालांकि स्पष्ट नहीं की गई है।
क्या है ई-कचरा...
ई-कचरे में शामिल हैं फेंक दिए गए कंप्यूटर मॉनीटर, मदरबोर्ड, कैथोड रे
ट्यूब, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, मोबाइल फोन और चार्जर, सीडी, हेडफोन,
एलसीडी, प्लाज्मा टेलीविजन, एयर कंडीशन और रेफ्रीजरेटर। ई-कचरे में लीड,
पारा (मर्करी), कैडमियम, गैस, धातु और प्लास्टिक जैसे जैविक रूप से नहीं
स़डने वाले पदार्थ पाए जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के
लिए घातक हैं।
इसके साथ ही देश में ई-कचरा डंपिंग एक और दूसरी ब़डी समस्या है।
इलेक्ट्रॉनिक्स के पुनर्चक्रण और फिर से उपयोग को बढ़ावा देने वाली
कंपनी
अट्टेरियो रिसाइक्लिंग के मुख्य संचालन अधिकारी रोहन गुप्ता ने कहा,ई-कचरे
का आयात रोकने के उपायों पर गौर करने से पहले यह समझने की जरूरत है कि
दूसरे देश से ई-कचरे का आयात होता क्यों है।
उन्होंने कहा,अधिकतर मामलों में जहां से आयात होता है, उन देशों में
पुनर्चक्रण की प्रौद्योगिकी नहीं है। चूंकि ई-कचरे का आयात रोकने वाला
ई-कचरा
प्रबंधन नियम पहले से बना हुआ है, सरकार को नियम को सख्ती से अमल में लाना
चाहिए।
(आईएएनएस)