अदाणी पोर्ट्स ने अधिग्रहण के बाद कैसे देश के बंदरगाहों की विकास क्षमता का किया इस्तेमाल
Source : business.khaskhabar.com | Apr 20, 2024 |
नई दिल्ली । देश के सबसे बड़े निजी पोर्ट ऑपरेटर अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने (अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों सहित) वित्त वर्ष 2023-24 में 42 करोड़ टन कार्गो हैंडल किया जो कंपनी की यात्रा में एक नया मील का पत्थर है।
वर्ष दर वर्ष आधार पर यह 24 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि है, जिसमें घरेलू बंदरगाहों ने 40.8 करोड़ टन से ज्यादा का योगदान दिया।
कंपनी को पहली बार 10 करोड़ टन वार्षिक कार्गो थ्रूपुट हासिल करने में 14 साल लगे। वहीं, 20 करोड़ टन का आंकड़ा हासिल करने में अगले पांच साल तथा 30 करोड़ टन तक पहुंचने में तीन साल और लगे।
विशेष रूप से, नवीनतम 10 करोड़ टन का आंकड़ा दो साल से भी कम समय में हासिल किया गया है।
यह प्रभावशाली उपलब्धि कैसे हासिल हुई?
एपीएसईजेड पिछले कुछ वर्षों में एकीकृत बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के प्रदाता के रूप में उभरा है, जिसमें से गुजरात का मुंद्रा एसईजेड एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
आठ हजार हेक्टेयर से अधिक में फैला 'मुंद्रा इकोनॉमिक हब' सबसे बड़े बहु-उत्पाद एसईजेड, मुक्त व्यापार एवं वेयरहाउसिंग क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूजेड) और घरेलू औद्योगिक क्षेत्र के रूप में निवेश के विकल्प प्रदान करता है।
एपीएसईजेड के पहले बंदरगाह मुंद्रा पर 1998 में पहला जहाज आया था। तब से, कंपनी ने देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 15 बंदरगाहों और टर्मिनलों का एक नेटवर्क बनाया है।
एपीएसईजेड वर्तमान में देश में सबसे बड़ा वाणिज्यिक पोर्ट ऑपरेटर है, जो देश की कार्गो आवाजाही में लगभग एक-चौथाई की हिस्सेदारी रखता है। देश के भीतरी हिस्सों में व्यापक कनेक्टिविटी के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के सात समुद्र तटीय राज्यों में घरेलू बंदरगाहों पर इसकी उपस्थिति काफी विस्तृत है।
बंदरगाहों पर सुविधाएं नवीनतम कार्गो-हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस हैं जो न केवल श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ है बल्कि भारतीय तटों पर आने वाले सबसे बड़े जहाजों को हैंडल करने में भी सक्षम है।
कंपनी के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, पूरे भारत के एक-चौथाई से अधिक कार्गो वॉल्यूम को एपीएसईजेड बंदरगाहों के माध्यम से भेजा गया था।
एपीएसईजेड के प्रबंध निदेशक करण अदाणी के अनुसार, "नवीनतम 10 करोड़ टन का आंकड़ा दो साल से भी कम समय में हासिल किया गया है। यह परिचालन दक्षता बढ़ाने और उद्योग में शीर्ष बंदरगाह ऑपरेटर के रूप में हमारी स्थिति बनाए रखने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता और जारी प्रयासों का एक प्रमाण है।"
ओडिशा के भद्रक जिले में धामरा बंदरगाह इस क्षेत्र में ड्राई कार्गो शिपमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। दस साल पहले यह केवल 1.4 करोड़ टन कार्गो हैंडल करता था लेकिन आज इसकी क्षमता 4.2 करोड़ टन से अधिक हो गई है।
इस बंदरगाह पर केपसाइज जहाज (सबसे बड़े ड्राई कार्गो शिप) भी लंगर डाल सकते हैं, और ओडिशा, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के उद्योगों को आपूर्ति प्रदान कर सकता है।
धामरा में 50 लाख टन क्षमता का तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल भी है जो असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
कृष्णापट्टनम बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय मानकों का एक हर मौसम में ऑपरेट करने वाला, विश्व स्तरीय गहरे पानी का बंदरगाह है। यह पूरे वर्ष चौबीसों घंटे केपसाइज जहाजों को हैंडल करने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा, मशीनीकृत हैंडलिंग सिस्टम और समर्पित भंडारण यार्ड हैं जो थोक और ब्रेक बल्क कार्गो के लिए स्वच्छ और संदूषण मुक्त हैंडलिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं।
इसकी वर्तमान क्षमता 7.5 करोड़ टन है, जो चार साल पहले 6.4 करोड़ टन के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है।
पुडुचेरी में कराईकल बंदरगाह बिजली संयंत्रों और सीमेंट कारखानों के पास है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसने लगभग एक करोड़ टन कार्गो हैंडल किया और 2023-24 में यह आंकड़ा 1.3 करोड़ टन तक पहुंच गया। आठ बंदरगाहों - मात्रा के हिसाब से पोर्टफोलियो का 84 प्रतिशत - ने वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी के लिए दोहरे अंक की वृद्धि प्रदान की।
दहेज बंदरगाह खंभात की खाड़ी में स्थित एक गहरे पानी वाला, मल्टी-कार्गो बंदरगाह है। यह रणनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों पर स्थित है और गुजरात, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के घने औद्योगिक केंद्रों तक आसान पहुंच प्रदान करता है।
यह इसे भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में काम करने वाले कार्गो हब के लिए पसंदीदा बंदरगाह बनाता है।
प्रमुख बंदरगाह मुंद्रा एक ही महीने (अक्टूबर 2023) में 1.6 करोड़ टन कार्गो को हैंडल वाला देश का पहला बंदरगाह बन गया। वास्तव में, मुंद्रा बंदरगाह से मिली सीख को कंपनी के स्वामित्व वाले अन्य सभी बंदरगाहों पर दोहराया गया है।
--आईएएनएस
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