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ट्रंप की वीजा नीति से मुश्किल में भारतीय: अमेरिका में बढ़े 10 गुना बेरोजगार

Source : business.khaskhabar.com | Apr 19, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 h 1b visa more indians in us seek jobs back home as trump signs order 201254नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया ने बेरोजगारी से निपटने के लिए 95 हजार से अधिक अस्थायी विदेशी कर्मचारियों द्वारा उपयोग किए जा रहे वीजा कार्यक्रम को समाप्त कर दिया है। इससे पहले अमेरिका ने एच1बी वीजा नियमों में बदलाव किया था। यह वीजा विदेशी पेशेवरों के लिए जारी किया जाता है जो ऐसे खास कार्य में कुशल होते हैं। अमेरिका में हर साल करीब 65 हजार ऐसे वीजा जारी किए जाते हैं। अमेरिका के इस फैसले से अमेरिका में भारतीय बेरोजगारों की संख्या में दस गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है। वहीं नीति आयोग के अमिताभ कांत ने कहा कि अमेरिका में साइंस, तकनीकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में दक्ष लोगों की भारी कमी है और इस जगह को भरने में उसे वर्षों लगेंगे।
- दिसंबर 2016 तक अमेरिका में रहने वाले 600 भारतीयों को नौकरी की जरूरत थी लेकिन मार्च 2017 तक भारतीय बेरोजगारों की संख्या 7000 तक पहुंच गई है। ये डेलाइट विश्लेषण का सर्वे है।
- ट्रंप की वीजा नीति में बदलाव के चलते एच1बी वीजा के आवेदन में भी भारी गिरावट आई है। पिछले साल 236000 लोगों ने आवेदन किया था और इस साल यह घटकर सिर्फ 199000 रह गई है।
- 2014 में 86 फीसदी एच-1बी वीज़ा कंप्यूटर से जुड़े पेशेवर भारतीयों की झोली में आए थे।
- 2015 के अमेरिकी वित्तीय वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें, तो कुल एच-1बी वीजा में से 70 फीसदी भारतीयों की झोली में गया।
- पारंपरिक टेक कंपनियों की तुलना में आउटसोर्सिंग कंपनियों को वीजा जारी करने में ज्यादा तरजीह दी जाती है।
- भारत की विप्रो, टाटा, इंफोसिस, टेक महिंद्रा जैसी कंपनियां यूरोप, अमेरिका और कई अन्य देशों की कंपनियों के टेक्नॉलजी सिस्टम्स का प्रबंधन करती हैं।
- ज्यादातर कंपनियां टेक नौकरियों में नियुक्ति के लिए वर्क वीजा का सहारा लेती हैं।
- 2016 वित्तीय वर्ष की बात करें, तो सबसे ज्यादा जिन पदों पर भर्तियों की मांग रही, वे हैं कंप्यूटर सिस्टम एनालिस्ट्स और सॉफ्टवेयर डिवेलपर्स।
- आउटसोर्सिंग कंपनियां एच-1बी वीजा पर काम करने वाले कर्मचारियों को सालाना 30 से 40 लाख रुपये की तनख्वाह देती हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों की तुलना में यह वेतन काफी कम हैं। ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को साढ़े 6 करोड़ या इससे भी ज्यादा की सालाना तनख्वाह देती हैं।

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