एमएसपी से 1000 रुपये क्विंटल नीचे बिक रहा चना
Source : business.khaskhabar.com | May 13, 2020 | 

नई दिल्ली। रबी सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल चना का भाव देशभर की मंडियों
में इस समय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1000 रुपये नीचे चल रहा है।
हालांकि सरकारी एजेंसी नेफेड द्वारा नौ राज्यों में एमएसपी किसानों से चने
की खरीद की जा रही है, फिर भी बाजार भाव में सुधार नहीं हो रहा है।
चना
उत्पादक प्रदेशों की प्रमुख मंडियों में चने का भाव इस समय 3800-4000
रुपये प्रतिक्विंटल है, जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए चने का
एमएसपी 4875 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया है। इस तरह चने का बाजार भाव
एमएसपी से 1000 रुपये प्रतिक्विंटल नीचे है।
दलहन कारोबारी बताते
हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण दाल मिलों की मांग कमजोर है, इसलिए चना
ही नहीं तमाम दलहनों के भाव में गिरावट आई है।
दिल्ली के चना कारोबारी संजय सेठ ने कहा कि मिलों की मांग कमजोर है, इसलिए चना समेत तमाम दलहनों की कीमतों में नरमी बनी हुई है।
ऑल
इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि मजदूरों की
कमी और कोरोना संक्रमण के मद्देनजर एहतियात का पालन करने के कारण दाल
मिलें अपनी क्षमता का तकरीबन 40 फीसदी ही उपयोग कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के आरंभिक दिनों में दाल की जैसी मांग थी, अब वैसी नहीं रह गई है।
वहीं,
दलहन बाजार के जानकार बताते हैं कि देश में इस साल चने की बंपर पैदावार
है, इसलिए दाम पर दबाव पूरे साल बना रहेगा और एमएसपी पर खरीद से कीमतों में
कीमतों में सुधार की गुंजाइश कम है।
मुंबई के दलहन बाजार विशेषज्ञ
अमित शुक्ला ने कहा कि सरकार के अनुमान के अनुसार, देश में चने का उत्पादन
इस साल 112.20 लाख टन है, जबकि सरकारी खरीद का लक्ष्य 20 लाख टन से थोड़ा
अधिक है। इस प्रकार सरकारी खरीद का लक्ष्य कुल उत्पादन अनुमान का महज 17.8
फीसदी है। शुक्ला ने कहा कि 20 फीसदी से भी कम सरकारी खरीद का लक्ष्य है,
ऐसे में सरकारी खरीद से चने के दाम में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती
है।
कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "हमारी खाद्य
नीति में कमी है। अगर हम उत्पादन का एक अंश यानी 25 फीसदी दालें एमएसपी
खरीदते हैं और बाकी बाजार के हवाले छोड़ देते हैं तो उसमें किसानों को
नुकसान होता। मेरा यह मानना है कि जब हम किसी फसल के लिए एमएसपी की घोषणा
करते हैं तो हमें उस फसल की पूरी खरीद करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि
अब समय आ गया है जब इस पॉलिसी में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि
एमएसपी तभी किसानों के लिए लाभकारी हो पाएगा जब यह सुनिश्चित होगा कि
एमएसपी से नीचे फसल नहीं बिकेगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में जिस तरह
विगत में भावांतर योजना लाई गई थी उसी प्रकार की योजना की जरूरत है।
केंद्रीय
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देशव्यापी
लॉकडाउन के बावजूद पिछले सप्ताह तक नेफेड ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना,
कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और
हरियाणा में कुल 2.74 लाख टन चने की खरीद कर ली थी।
बाजार सूत्रों
से मिली जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश की गंजबसोदा मंडी में मंगलवार को
चने का भाव 3800-3900 रुपये प्रति क्विंटल जबकि आवक 300-400 बोरी थी। नीमच
में भी भाव यही था और आवक 500-1000 बोरी थी। वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर
में चने का भाव 3800-4000 रुपये प्रतिक्विंट और आवक 100 बोरी थी जबकि जालना
में भाव 3850-4000 रुपये और आवक करीब 200 बोरी थी। कर्नाटक के गुलबर्गा
में चने की कीमत 3600-3911 रुपये प्रतिक्विंटल जबकि आवक 1040 बोरी थी।
राजस्थान
में बीते कुछ दिनों से मंडियों में हड़ताल चल रही है। कृषक कल्याण फीस
समाप्त करने की मांग को लेकर राजस्थान के व्यापारी हड़ताल पर हैं।
(आईएएनएस)
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