आटा मिलों को एफसीआई का गेहूं नहीं मिलने से भारी तेजी
Source : business.khaskhabar.com | Nov 04, 2024 |
-जयपुर मंडी में 3015 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचा मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं
रामबाबू सिंघल
जयपुर। आटा मिलों को सस्ती दरों पर एफसीआई का गेहूं समय पर नहीं मिलने की वजह से इन दिनों गेहूं एवं इसके उत्पादों में तेजी थम नहीं रही है। जयपुर मंडी में सोमवार को मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं नैट के भाव 50 रुपए और उछलकर 3015 रुपए प्रति क्विंटल पर जा पहुंचे। आटा, मैदा एवं सूजी में भी जोरदार मजबूती दर्ज की गई है। गौरतलब है कि सरकार को ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत सस्ते भाव पर गत वर्ष की तरह शीघ्र ही गेहूं की बिक्री की जानी चाहिए थी। जो कि नहीं की गई। व्यापारिक संगठनों ने समय-समय पर सरकार को बार-बार चेताया भी था, मगर सरकार ने व्यापारियों की मांगों को अनसुना कर दिया। उल्लेखनीय है कि गेहूं एक ऐसा आवश्यक खाद्दान्न है, जिसका प्रभाव सीधे देश की जनता पर पड़ता है। सरकार की पूर्व में एक अगस्त से गेहूं की बिक्री खुले बाजार में करने की योजना थी। उसे बढ़ाते-बढ़ाते अक्टूबर तक लाया गया था, लेकिन अक्टूबर आने से पहले ही खाद्दय मंत्रालय ने खुले बाजार में बेचे जाने की योजना को बंद कर दिया तथा पीडीएस में 35 लाख टन गेहूं 31 मार्च तक बेचे जाने की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों की लिवाली चौतरफा बढ़ गई। वर्तमान में इसका प्रभाव आटा, मैदा एवं सूजी में भारी महंगाई के रूप में देखने को मिल रहा है। यदि सरकार ने गेहूं की तेजी पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो यह शीघ्र ही 3200 रुपए प्रति क्विंटल को पार कर सकता है। केन्द्र सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक ज्यादा है। अब प्रश्न उठता है कि यदि केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक अधिक है तो खुले बाजार में क्यों नहीं बेचा जा रहा है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि केन्द्र सरकार की ढुलमुल नीति के कारण गेहूं एवं गेहूं उत्पादों में तेजी की आग लगी हुई है, जो कि और बढ़ सकती है।
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