गैस दाम बढने से ऊर्वरक उद्योग प्रभावित होगा
Source : business.khaskhabar.com | Apr 30, 2014 |
नई दिल्ली। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) ने बुधवार को कहा कि घरेलू गैस मूल्य बढाए जाने से देश का ऊर्वरक उद्योग अप्रतिस्पर्धी हो जाएगा। उद्योग संघ ने इस तर्क के साथ ही घरेलू गैस को आयातित तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) मूल्य से अलग किए जाने की मांग की। एफएआई ने यहां एक बयान में कहा, देश में घरेलू गैस मूल्य को आयातित एलएनजी मूल्य से नहीं जोडा जाना चाहिए। घरेलू गैस मूल्य भारतीय मुद्रा रूपये में होना चाहिए, डॉलर में नहीं।
वास्तविकता तो यह है कि डॉलर मूल्य सिर्फ पांच साल पहले लागू किया गया था। इसके बाद से लगातार घरेलू गैस मूल्य भारतीय मुद्रा में बढता रहा है। गैस मूल्य में प्रस्तावित वृद्धि से यूरिया की बिRी पर सब्सिडी खर्च हर साल 10 हजार करोड रूपये से 15 हजार करोड रूपये तक बढ जाएगा। एफएआई ने कहा कि सब्सिडी के भुगतान में होने वाली देरी और लागत खर्च बढने से उद्योग का नकारात्मक विकास होगा। संघ ने साथ ही सुझाव दिया कि कच्चे तेल की 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा को हटाने के बाद गैस मूल्य निर्धारण के वर्तमान फार्मूले को जारी रखा जा सकता है। एफएआई ने सुझाव दिया कि विकल्प के तौर पर एक नया फार्मूला अपनाया जा सकता है।
जिसमें घरेलू गैस उत्पादन खर्च को आधा महत्व दिया जाएगा और बाकी आधा महत्व घरेलू गैस को अमेरिका और यूरोप में मिलने वाली कीमत को दिया जाएगा। इस बीच तेल एवं गैस क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी ग्राहक ऊर्वक कंपनियों को यह गारंटी देने के लिए कहा है कि निर्वाचन आयोग के आदेश के बावजूद वे अधिक कीमत का भुगतान करेंगी। निर्वाचन आयोग ने आदेश दिया है कि पेट्रोलियम मंत्रालय को नए गैस मूल्य निर्धारण फार्मूले को फिलहाल लागू नहीं करना चाहिए। ऊर्वरक कंपनियों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की बात मानने से इंकार कर दिया है और कहा है कि जब तक नई कीमत पर औपचारिक मुहर नहीं लग जाती है, तब तक बिना किसी गारंटी प्रति यूनिट 4.20 डॉलर की कीमत ली जानी चाहिए।