जांच वाले केस में रिफंड से इनकार न करें:HC
Source : business.khaskhabar.com | May 18, 2016 | 

नयी दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि आयकर विभाग को उस आयकर
दाता को राशि वापस करने से इनकार नहीं करना चाहिए जिनके मामले को जांच के
अंतर्गत आगे बढाया गया तथा आयकर अधिकारी के पास इस मामले में अंतिम लेने का
विशेष अधिकार है। अदालत ने यह भी कहा कि कर आदेश का मतलब करदाता की समस्या
बढाना नहीं है।
हाईकोर्ट ने यह फैसला टाटा टेलीसर्विसेज की याचिका पर दिया। याचिका में कहा
गया था कि उसे तीन आकलन वर्ष 2012-13, 2013-14 तथा 2014-15 के लिये रिफंड
देने से इनकार किया गया और यह सीबीडीटी निर्देश के तहत किया गया। मामला
जांच के लिये लंबित था और धारा 143:1डी के संदर्भ में तथा सीबीडीटी के
निर्देश पर रिफंड को आगे नहीं बढाया जा सका।
न्यायाधीश एस मुरलीधर तथा न्यायाधीश विभू बखरू ने आदेश दिया कि इस
संदर्भ में सीबीडीटी का जनवरी 2015 का निर्देश कानून के तहत बरकरार रखने
योग्य नहीं है और उसे खारिज किया जाता है।
अदालत ने कहा कि सीबीडीटी का निर्देश रिटर्न की प्रक्रिया को आगे बढाने से
रोक कर आयकर अधिकारी के काम करने की स्वतंत्रता में कटौती है।
इस मामले में
आयकर कानून की धारा 143:2 के तहत करदाता को नोटिस जारी किया गया था। धारा
143:2 जांच की प्रक्रिया से संबंधित हैं। इसके तहत आयकर विभाग अंतिम रूप से
आईटी रिटर्न की प्रक्रिया के लिये अतिरिक्त दस्तावेज तथा ब्योरा मांगता
है।
अदालत ने सीबीडीटी के रिफंड से इनकार से जुडे निर्देश को खारिज करते हुए
कहा कि ऎसे रिटर्न की प्रक्रिया के बारे में संबंधित आयकर अधिकारी धारा
143:1 डी के तहत-जांच के बाद आकलन-निर्णय करेगा। पीठ ने स्पष्ट किया कि
करदाता के हित सबसे उपर हैं और सीबीडीटी की शक्तियो की कुछ सीमाएं हैं।