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कच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे

Source : business.khaskhabar.com | Jan 08, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 crude oil prices slide below 30 dollars नई दिल्ली। भारतीय बॉस्केट में कच्चे तेल की कीमतों में 2 डॉलर से ज्यादा की कमी आई है और यह गुरूवार को 30 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया। आधिकारिक आंक़डों से यह जानकारी मिली है। वहीं, इंग्लैंड में ब्रेंट कच्चे तेल का दम घटकर 2004 के स्तर पर पहुंच चुका है। भारतीय बॉस्केट में 72 फीसदी दुबई का सोर ग्रेड कच्चा तेल और ओमान कच्चा तेल और बाकी ब्रेंट कच्चा तेल शामिल है। इसकी कीमत पिछले पिछले दिन के 31.33 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 29.24 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुकी है। वहीं ओपेक (पेट्रोलियम उत्पादक देशों के संगठन) बॉस्केट के कच्चे तेल की कीमत 13 साल में सबसे कम के स्तर पर जा पहुंची है। पिछले दिन के 29.71 डॉलर से घटकर शुक्रवार को इसकी कीमत 27.85 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई।

चीन ने गुरूवार को यूआन की कीमत में एक बार फिर कमी की जिसके कारण क्षेत्रीय मुद्रा एक्सचेंज और शेयर बाजारों में गिरावट का दौर देखा गया। निवेशकों को ऎसा लग रहा है कि चीन के इस कदम से कहीं उसके व्यापारिक सहयोगी देशों में मुद्रा के अवमूल्यन का दौर न शुरू हो जाए। इसके बाद शंघाई कंपोजिट सूचकांक में 7.32 फीसदी गिरावट देखी गई जिसके कारण कारोबार रोकने की घोषणा करनी पडी। चीन में छाई मंदी के कारण कमोडिटी की कीमतें भी दबाव में हैं। वहीं, भारत में शेयर बाजार में तेज गिरावट देखी गई और 120 कंपनियों के शेयर पिछले 52 हफ्तों में सबसे कम पर आ गए।

चीन में सेवा क्षेत्र में दिसंबर में काफी कम बढत का रूख देखने को मिला इसके बाद यह आशंका जाहिर की जा रही है कि दुनिया के दूसरे सबसे ब़डे तेल उपभोक्ता देश की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है। इसके कारण भी तेल की कीमतें दबाव में हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक तेल और गैस निर्यातकों के साथ इस हफ्ते के शुरू में बैठक की थी। इस बैठक में कच्चे तेल की खोज करने और कौशल विकास को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक में ब्रिटिश ऑयल के मुख्य कार्यकारी बॉब डूडले, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के कार्यकारी अधिकारी फातिह बीरोल और रॉयल डच शेल के निदेशक हैरी ब्रेकेलमंस शामिल हुए।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि इस बैठक में अन्य बातों के अलावा भारत के ऊर्जा खरीद में गैस की मात्रा में बढ़ोतरी, तेल और गैस की नई खोज में निवेश करने तथा तेल और गैस संपत्तियों के अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण व नियामक बनाने के लिए चर्चा की गई। (IANS)