CNG अवसंरचना बढ़ाने की जरूरत : नैसकॉम
Source : business.khaskhabar.com | May 05, 2016 | 

नई दिल्ली। नैसकॉम ने बुधवार को बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) क्षेत्र की चिंताओं से सरकार को अवगत कराया और कहा कि डीजल टैक्सियों पर रोक, उनके व्यापार और कर्मचारियों की सुरक्षा, खासतौर से महिलाओं की सुरक्षा को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने सरकार से सीएनजी अवसंरचना बढ़ाने की गुजारिश की।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) की ओर से बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में क्षेत्र की सभी प्रमुख बीपीएम कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में डीजल टैक्सी पर लगी रोक से बीपीएम (पहले यह बीपीओ नाम से जाना जाता था) क्षेत्र का कामकाज ठहर सा गया है। एनसीआर क्षेत्र में बीपीएम उद्योग से 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है और उनमें से ज्यादा वैश्विक ग्राहकों की महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करते हैं और ज्यादातर रात की पाली में कामकाज होता है।
नैसकॉम के उपाध्यक्ष और क्वाट्रो के कार्यकारी निदेशक रमन रॉय ने कहा, ‘‘हमारे उद्योग में 38 फीसदी महिलाएं है और उनकी सुरक्षा हमेशा से हमारे लिए चिंता का विषय रहा है। सरकारी नियमों के मुताबिक हम रात 8 बजे के बाद काम करने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से घर छोडऩे के लिए परिवहन सुविधा प्रदान करते हैं। इसमें टैक्सियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन सुविधा के अभाव में इन वैधानिक निर्देशों का पालन करना असंभव है।’’
डब्ल्यूएनएस के ग्रुप सीईओ और नासकॉम बीपीएम परिषद के अध्यक्ष केशव मुरुगेश ने कहा, ‘‘बीपीएम उद्योग ने आज इस आदेश के क्रियान्वयन में देरी करने की तत्काल आवश्यकता पर आपात बैठक की। इस उद्योग के कर्मचारियों में आधी महिलाएं हैं और उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। हमें उम्मीद है कि न्यायपालिका हमारी विकट परिस्थितियों को समझते हुए इस नियम को लागू करने में देरी की अनुमति प्रदान कर इस मुद्दे का समाधान करेगी।’’
जेनपैक्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विद्या श्रीनिवासन ने सीएनजी अवसंरचना को बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘‘अगर सरकार पर्याप्त सीएनजी स्टेशन और फैक्टरी फिटेड सीएनजी वाहनों की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करती है तो हम तेजी से अपने वाहनों को बदल सकते हैं।’’
कई कंपनियों का कहना है कि डीजल वाहनों को सीएनजी में बदलने का आदेश बीपीएम उद्योगों की ताबूत में कील ठोकने वाला है। क्योंकि सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की लंबी कतारें, सीमित संख्या में सीएनजी टैक्सियों की उपलब्धता, डीजल टैक्सियों को सीएनजी में बदलने की प्रौद्योगिकी का अभाव, बाहर से सीएनजी किट लगी टैक्सियों का बीमा और वारंटी संबंधी मुद्दे आदि के बावजूद कंपनियां इस कानून का पालन करना तो चाहती है, लेकिन पर्याप्त सीएनजी कैब ही उपलब्ध नहीं है।
(IANS)