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तो वित्त वर्ष अप्रेल-मार्च की बजाय...

Source : business.khaskhabar.com | July 10, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 assocham cautions against any change in financial year apr mar 55591नई दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम ने रविवार को वित्त वर्ष में किसी भी तरह के बदलाव को लेकर आगाह किया है। संस्था ने कहा कि वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च के बजाय किसी अन्य माह के क्रम में रखे जाने के सरकार के किसी भी कदम का व्यवसाय पर सीधा व नकारात्मक असर पडेगा। एसोचैम ने यह भी कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष स्कूल- विश्वविद्यालयों के अकादमिक वर्षो के भी अनुकूल है।

सरकार ने सप्ताह की शुरूआत में नए वित्त वर्ष की व्यावहारिकता की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की थी। इसी क्रम में एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने एक बयान में कहा,भारतीय वित्त वर्ष को अप्रैल-मार्च के बजाय किसी भी अन्य माह के क्रम में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा बल्कि इससे देश के व्यापार एवं उद्योग को नुकसान होगा।

बयान में महासचिव डीएस रावत ने कहा,विभिन्न देश अलग-अलग वित्त वर्ष के आधार पर काम करते हैं और दुनिया में लेखांकन का कोई मानक नहीं है। ऎसे में वित्त वर्ष में बदलाव से भारत को दुनिया के साथ व्यावसायिक तौर पर तालमेल बिठाने में कोई खास मदद नहीं मिलेगी।

एसोचैम के अनुसार वित्त वर्ष में बदलाव की स्थिति में न केवल लेखों में परिवर्तन करना पडेगा बल्कि लेखांकन सॉफ्टवेयर की पूरी अवसंरचना, कराधान प्रणाली, मानव संसाधन कार्यप्रणाली में भी बदलाव करना पडेगा जो बडे तथा छोटे, दोनों उद्योगों के लिए बहुत महंगा होगा।

सरकार ने वित्त वर्ष में बदलाव को लेकर जो समिति बनाई है, उसकी अध्यक्षता पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य कर रहे हैं। इसके तीन अन्य सदस्यों में पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, तमिलनाडु के पूर्व वित्त सचिव पीवी राजारमन तथा सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो राजीव कुमार शामिल हैं। समिति को 31 दिसंबर तक रपट सौंपने को कहा गया है।

एसोचैम ने सरकार के इस तर्क को भी नकार दिया कि मौजूदा वित्त वर्ष बजट निर्माताओं को मानसून के आकलन का अवसर नहीं प्रदान करता। बयान के अनुसार यदि वित्त वर्ष बदलकर जनवरी-दिसंबर कर दिया जाता है और बजट अक्टूबर में पेश किया जाता है तो भी मानसून का असर सिर्फ उस संबंधित वर्ष के लिए ही स्पष्ट होगा। यदि बजट अगले वर्ष के लिए तैयार किया जाता है तो एक बार फिर मौसम अनुमानों पर ही निर्भरता होगी। (आईएएनएस)