चने का रकबा 22 फीसदी घटा, गेहूं की बुवाई में दिलचस्पी ले रहे किसान
Source : business.khaskhabar.com | Nov 25, 2019 | 

नई दिल्ली। चने का भाव नहीं मिलने और मौसम की अनिश्चितता के कारण इस साल
किसान चने के बदले गेहूं की बुवाई में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, यही
कारण है कि चने का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 22 फीसदी घट गया है।
केंद्रीय
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी रबी फसलों की
बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में चने की बुवाई अब तक 48.35 लाख
हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक देश में चने का रकबा 61.91
लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले इस साल चने का रकबा 21.90
फीसदी पिछड़ा हुआ है।
हालांकि गेहूं का रकबा भी अब तक सिर्फ 96.77
लाख हेक्टेयर हुआ है जोकि पिछले साल से 2.87 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल अच्छी बारिश होने से देशभर में
जलाशयों में काफी पानी है इसलिए गेहूं का रकबा बढ़ सकता है क्योंकि सिंचाई
के लिए किसानों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रबी
सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले अभी तक कम है,
लेकिन आने वाले दिनों बढ़ सकता है, क्योंकि चने की जगह गेहूं की बुवाई में
किसान इस साल ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।
राजस्थान के बूंदी के
जींस कारोबारी उत्तम जेठवानी ने बताया कि बारिश की वजह से चने की बुवाई में
विलंब हो गया है और किसानों को इस साल चने का अच्छा भाव भी नहीं मिल पाया
है, यही कारण है कि वे चने की जगह गेहूं की बुवाई करने लगे हैं। उन्होंने
कहा कि इस साल गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ सकता है।
कृषि
विशेषज्ञों ने बताया कि देश में गेहूं और धान की सरकारी खरीद होने से
किसानों को इन दोनों फसलों का उचित भाव मिल जाता है, लेकिन चना या दूसरी
दलहनों व तिलहनों व अन्य फसलों की सरकारी खरीद व्यापक पैमाने पर नहीं होती
है, यही कारण है कि किसान गेहूं और धान की खेती में ज्यादा दिलचस्पी लेते
हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले वाले
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल के निदेशक
ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने रबी सीजन की बुवाई के आरंभ में ही आईएएनएस से
बातचीत में इस बात की संभावना जताई थी कि इस साल रबी फसलों में खासतौर से
गेहूं का रकबा बढ़ सकता है, क्योंकि चना के बदले गेहूं की खेती में किसान
ज्यादा दिलचस्पी ले सकते हैं, जिससे चने का कुछ रकबा गेहूं में शिफ्ट हो
सकता है।
मध्यप्रदेश के कारोबारी संदीप शारदा ने बताया कि मालवा
इलाके में गेहूं की बुवाई करीब 75 फीसदी पूरी हो चुकी है। उन्होंने बताया
कि इस साल बारिश अच्छी हुई है जिसके चलते किसानों ने चने के बदले गेहूं की
बुवाई में ज्यादा दिलचस्पी ली है। देश में चने का प्रमुख उत्पादक राज्य
मध्यप्रदेश में पिछले साल सीजन के दौरान इस समय तक जहां 26.54 लाख हेक्टेयर
में चने की बुवाई हुई थी वहां इस साल महज 14 लाख हेक्टेयर में चने की
बुवाई हुई है।
गेहूं की बुवाई मध्यप्रदेश में 26 लाख हेक्टेयर में
हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.81 लाख हेक्टेयर में हुई थी। गेहूं
का रकबा मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी पिछले साल से
ज्यादा हो चुका है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि गेहूं बुवाई का आदर्श समय
15 नवंबर से 15 दिसंबर माना जाता है, इसलिए आने वाले दिनों में गेहूं का
रकबा बढ़ सकता है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सभी रबी
फसलों का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले 9.31 फीसदी पिछड़ा हुआ है। पिछले
साल इस समय तक जहां 276.83 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी थी
वहां इस साल 251.04 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हुई है।
केंद्र
सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य
1,925 रुपये प्रति क्विंटल और चना का 4,875 रुपये प्रति क्विंटल तय किया
है। (आईएएनएस)
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